एक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गई नई शराब नीति के अंतर्गत सुंब में भी एक वाइन शॉप टेंडर हो गया जो कि 22 लाख रुपए तक गया। सांबा शहर में कई वाइन शॉप होने के बावजूद भी सांबा में और वाइन शॉप दी गई जिनमें सुंब भी एक प्रमुख जगह है। अगर हम इस के बारे में बात करें तो यह वाइन शॉप लगभग 8 पंचायतों को कवर करती है जिसमें गौरन, सोड़म, ब्लेतर, पटियारी, कारड़, तलूर, आमली, समलाह हैं और एक बहुत बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं (तकरीबन 30 से 40,000)। वाइन शॉप खोलने से अब इन लोगों को तकरीबन अपने घर में ही शराब उपलब्ध हो जाएगी। इससे पहले उन्हें शराब लेने के लिए सांबा में जाना पड़ता था या दयालाचक में उनको शराब मिलती थी। कहने का मतलब यह है कि पहले उनको शराब लेने के लिए पहले गाड़ी में बैठ कर सुंब से सांबा या दयालाचक जाना पड़ता था और गाड़ी जो है वह टाइम टाइम पर चलती है, तो पहाड़ी इलाकों के लोग जिसमें कारड, रयोर, प्यूर, नंड, जटाह, बेलियां, सोडम, जीड, हंडड, दाबनू, सूर, मंनसूर के लोग जोकि बहुत दूर से आते थे वह सांबा जाने में संकोच करते थे। और खुद सुंब के लोग भी इतना उद्यम नहीं कर पाते थे पर अब उनको यह चीज घर पर भी उपलब्ध मिलेगी। सुंब के लोगों ने इसका काफी विरोध किया है और उनका कहना है कि वह सुंब के इलाके में वाइन शॉप को नहीं खुलने देंगे। यहां पर हम आपको बताते चलें कि सुंब का जो इलाका है यह मुख्यता तौर पर खेती-बाड़ी पर ही निर्भर करता है और जिस प्रकार से आजकल मौसम का मिजाज हैं तो खेती-बाड़ी से जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल है। उनका कहना था कि उनके बच्चों को रोजगार चाहिए क्योंकि खुद तो उनके पास रोजगार नहीं है और खेतीबाड़ी से जो कुछ बचता है सब अपने बच्चों को ही पाल रहे हैं। लेकिन अब यहां पर वाइन शॉप खुल जाने से मुख्य तौर पर युवा इसकी प्रति आकर्षित होंगे और पहले वह 16 से 20 किलोमीटर दूर सांबा होने के कारण वहां पर जा नहीं पाते थे और जब अब उनको घर पर ही शराब उपलब्ध होगी तो वह उसको पीने में संकोच नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे लोगों का जीवन यापन करने के लिए जो पैसे का प्रबंध है उसमें भी गड़बड़ हो सकती है और युवाओं की पढ़ाई में भी फर्क पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह इसको खोलने के विरोध में जोरदार प्रदर्शन करेंगे।
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Thursday, April 6, 2023
सुंब में वाइन शॉप का खुलना: क्या पड़ेंगे प्रभाव???
एक्साइज डिपार्टमेंट द्वारा बनाई गई नई शराब नीति के अंतर्गत सुंब में भी एक वाइन शॉप टेंडर हो गया जो कि 22 लाख रुपए तक गया। सांबा शहर में कई वाइन शॉप होने के बावजूद भी सांबा में और वाइन शॉप दी गई जिनमें सुंब भी एक प्रमुख जगह है। अगर हम इस के बारे में बात करें तो यह वाइन शॉप लगभग 8 पंचायतों को कवर करती है जिसमें गौरन, सोड़म, ब्लेतर, पटियारी, कारड़, तलूर, आमली, समलाह हैं और एक बहुत बड़ी आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं (तकरीबन 30 से 40,000)। वाइन शॉप खोलने से अब इन लोगों को तकरीबन अपने घर में ही शराब उपलब्ध हो जाएगी। इससे पहले उन्हें शराब लेने के लिए सांबा में जाना पड़ता था या दयालाचक में उनको शराब मिलती थी। कहने का मतलब यह है कि पहले उनको शराब लेने के लिए पहले गाड़ी में बैठ कर सुंब से सांबा या दयालाचक जाना पड़ता था और गाड़ी जो है वह टाइम टाइम पर चलती है, तो पहाड़ी इलाकों के लोग जिसमें कारड, रयोर, प्यूर, नंड, जटाह, बेलियां, सोडम, जीड, हंडड, दाबनू, सूर, मंनसूर के लोग जोकि बहुत दूर से आते थे वह सांबा जाने में संकोच करते थे। और खुद सुंब के लोग भी इतना उद्यम नहीं कर पाते थे पर अब उनको यह चीज घर पर भी उपलब्ध मिलेगी। सुंब के लोगों ने इसका काफी विरोध किया है और उनका कहना है कि वह सुंब के इलाके में वाइन शॉप को नहीं खुलने देंगे। यहां पर हम आपको बताते चलें कि सुंब का जो इलाका है यह मुख्यता तौर पर खेती-बाड़ी पर ही निर्भर करता है और जिस प्रकार से आजकल मौसम का मिजाज हैं तो खेती-बाड़ी से जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल है। उनका कहना था कि उनके बच्चों को रोजगार चाहिए क्योंकि खुद तो उनके पास रोजगार नहीं है और खेतीबाड़ी से जो कुछ बचता है सब अपने बच्चों को ही पाल रहे हैं। लेकिन अब यहां पर वाइन शॉप खुल जाने से मुख्य तौर पर युवा इसकी प्रति आकर्षित होंगे और पहले वह 16 से 20 किलोमीटर दूर सांबा होने के कारण वहां पर जा नहीं पाते थे और जब अब उनको घर पर ही शराब उपलब्ध होगी तो वह उसको पीने में संकोच नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे लोगों का जीवन यापन करने के लिए जो पैसे का प्रबंध है उसमें भी गड़बड़ हो सकती है और युवाओं की पढ़ाई में भी फर्क पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह इसको खोलने के विरोध में जोरदार प्रदर्शन करेंगे।
Tuesday, April 4, 2023
विजयपुर में रेलवे ट्रैक के पास पाकिस्तान का ड्रोन ड्रॉपिंग से हथियारों का गिराना: क्या हो सकते थे परिणाम???
सांबा के विजयपुर में ड्रोन ड्रोपिंग का मामला सामने आया है पाकिस्तान की तरफ से सांबा के विजयपुर रेलवे ट्रैक के पास ड्रोन से एक पैकेट गिराया गया था। जिसको पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया है। इस पैकेट को जब सीनियर पुलिस अफसर की निगरानी में खोला गया तो उसमें से 2 पिस्टल, 6 मैगजीन, 4 हैंड ग्रेनेड और बाकी समान मिला। ड्रोन ड्रॉपिंग के के पहले जो मामले थे वह अक्सर बॉर्डर बेल्ट के आसपास ही देखने को मिलते थे। लेकिन अब जिस तरह से पाकिस्तान ने विजयपुर में रेलवे ट्रैक के पास से हथियार गिराए हैं उससे भारतीय खुफिया एजेंसियों को यह आशंका है कि शायद पाकिस्तान कोई उन्नत किस्म के ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है जोकि खुफिया एजेंसियों की नजर से बचते हुए, बीएसएफ की नजर से बचते हुए भारतीय सीमा के इतना अंदर आकर हथियार गिराए गए और शायद पाकिस्तान किसी बड़े टेरर प्लॉट की तैयारी में है। इससे पहले खुफिया एजेंसियों को या पुलिस को जितने भी ड्रोन ड्रॉपिंग के मामले मिले हैं उनमें से तकरीबन बॉर्डर क्षेत्र के आसपास के इलाकों में ही सीमित थे। यह पहला मामला है कि जब हथियार इतना अंदर आकर गिराए गए हैं। आशंका यह भी है कि अगर यह हथियार रेलवे ट्रैक के पास गिराए गए थे तो निश्चित ही इसमे पाकिस्तानी एजेंसियों का कोई प्लान रहा होगा। यह हथियार वहां से किसने उठाने थे और आगे जाकर किस तरह से इनका इस्तेमाल होना था और कहां यह पहुंचाए जाने थे इसके बारे में अभी खुफिया एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं है और अगर है भी तो सांझा करने की तैयारी में नहीं हैं। लेकिन एक बात तो निश्चित तौर पर है कि इन हथियारों का भारतीय सीमा के इतना अंदर आकर विजयपुर के रेलवे ट्रैक के पास गिराया जाना निश्चित ही यह भारतीय खुफिया एजेंसियों के लिए एक बहुत बड़ा परेशानी का सबब है।
क्योंकि सिविलियन इलाके में आकर और खासकर विजयपुर जैसे इतनी घनी आबादी वाले क्षेत्र में अगर ये हथियार आतंकवादियों के हत्थे चढ़ जाते तो निश्चित तौर पर बहुत ही जान माल का नुकसान हो सकता था।
निश्चित तौर पर अब भारतीय सरकार को कुछ इस तरीके का सिस्टम लाना होगा जो कि इन ड्रोन ड्रॉपिंग के मामलों को पूरी तरह से ही खत्म कर सकें नहीं तो आने वाले समय में यह किसी बहुत बड़ी दुखद घटना का कारण बन सकता है। इससे भारतीय सरकार इज़राइल की सरकार से संपर्क कर सकती है और जैसा उन्हें मिसाइल डिफेंस सिस्टम "आयरन डोम" लगाया है कुछ इस तरह से उनसे बात करके ड्रोन ड्रॉपिंग के मामलों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए लिए भी कोई ऐसा डिफेंस मैकेनिज्म बना सकती है। लेकिन तब तक भारतीय सरकार को पाकिस्तान की इस तरह की भारतीय सीमा में आंतकवादी घटनाओं को फैलाने की मंशायों को विफल करना होगा।
Thursday, March 30, 2023
खालिस्तानी भगोड़े अमृतपाल का वीडियो: चेहरे पर झलकता डर
कल ही खालिस्तानी भगोड़े अमृतपाल का जिसका पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां तलाश कर रही है उसका एक वीडियो सामने आया जिसमें उसने कहा कि वह पंजाब पुलिस के घेरे से निकल भागा है और चढ़दी कला में है। उसने कहा कि उसका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता। हालांकि उसने कहा कि वह पहले भी ना डरा है ना उसको अब डर है। लेकिन जिन लोगों ने भी यह वीडियो देखा है या देखेंगे, तो एक बात तो निश्चित तौर पर सामने आ रही है कि डर उसके चेहरे से ही झलक रहा था। उसकी बॉडी लैंग्वेज ही बता रही थी कि मैं कितना डरा हुआ है। हालांकि उसने बड़ी बड़ी बातें की, सिखों को लेकर, धर्म को लेकर लेकिन जो उसका अंदरूनी डर था उसके चेहरे से ही झलक रहा था। कहते हैं कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और कानून से कोई बच नहीं सकता। अगर कोई व्यक्ति सही राह पर चल रहा है तो उसको भागने की जरूरत ही नहीं है। सही राह पर चलने वाला अपना वक्तव्य अपने मिशन को लेकर भागेगा क्यों। उसने वहीं रुक कर अपनी बात लोगों के सामने ही रखनी चाहिए। भागता वही इंसान है जो कहीं ना कहीं यह जानता है कि वह गलत है उसके अंदर एक चोर है। यही बात उसको भागने पर विवश करती है। सिख कौम जो अपने बलिदान और शहादत के लिए मशहूर रही है और जिन गुरुओं ने कौन को बचाने के लिए और इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए कुर्बानियां दी। गुरु तेग बहादुर द्वारा दी हुई कुर्बानी, चार साहिब जादों का बलिदान। कौन इन चीजों को भूल सकता है। उसी सिख कौम को बदनाम करने के लिए यह पाकिस्तान और आईएसआई की साजिश कभी भी कामयाब नहीं होगी और सिख कौम पूरे भारतवर्ष में उसी ढंग और उसी प्यार से रहेगी जैसे वह पहले से ही रहते आए हैं।
Monday, March 27, 2023
नेपाल पहुंचा अमृतपाल सिंह, भारत ने नेपाल से किया अनुरोध: नहीं भाग पाए तीसरे देश
काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने नेपाल से अनुरोध किया है कि वह खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को किसी तीसरे देश में भागने की अनुमति न दे, जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह नेपाल पहुंच गया है और वह भारतीय पासपोर्ट या किसी अन्य फर्जी पासपोर्ट का उपयोग कर भागने का प्रयास कर रहा है। इससे पहले अमृतपाल सिंह के पूरे पंजाब में भेष बदलकर घूमने के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए थे और पंजाब पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां विभिन्न जगहों पर उसकी तलाश में छापेमारी कर उसके साथियों को गिरफ्तार कर रही थी।
Wednesday, March 15, 2023
आखिरकार विशाली को मिला इंसाफ; पकड़ा गया मेन किडनैपर: क्या अभी और मछलियों भी पकड़ी जाएंगी
एसएसपी बनाम तोष ने फिर से अपनी काबिलियत का परिचय देते हुए कल ही वैशाली के मेन किडनैपर को एरेस्ट कर लिया और विशाली को इंसाफ दिला दिया। अभी पिछले दिनों ही सुंब में लगाए हुए पब्लिक दरबार में लोगों ने जब यह मांग उठाई थी कि विशाली के कातिल का पता लगाया जाए और उसको इंसाफ दिलाया जाए तो उसी वक्त एसएसपी बेनाम तोष ने सबको यह आश्वासन दिया था कि वह जल्द ही उसके कातिल को पकड़ लेंगे और उन्होंने यह कर दिखाया है। सनद रहे कि आज से तकरीबन 8 महीने पहले विशाली नाम की युवती जो कि सांबा के डिग्री कॉलेज में पढ़ती थी और मडकोली की रहने वाली थी उसका संदिग्ध परिस्थितियों में शव समराला लुधियाना में मिला था जिस पर लोगों ने रोष प्रकट किया कि विशाली का किडनैप किया गया है और उसकी हत्या की गई है। सांबा पुलिस ने अपनी 8 महीने की कार्रवाई में कुछ भी हासिल नहीं कर पाई और केस जैसे दब सा गया था। लोगों ने कई बार कैंडल मार्च निकाले, विरोध प्रदर्शन कीये, जुलूस निकाले लेकिन वैशाली के कातिलों का पता नहीं चल पाया। पुलीस जैसी आंखें मूंद कर सो रही थी। लोग बार-बार इल्ज़ाम लगाते रहे कि कुछ ना कुछ गड़बड़ है। कैसे एक लड़की सांबा से लुधियाना के समराला चौक में पहुंच जाती है और वहां उसकी हत्या हो जाती है। हालांकि इस केस को आत्महत्या का रंग देने की भी कोशिश की जा रही थी लेकिन सबसे बड़ी बात जो सामने आ रही थी कि अगर किसी ने आत्महत्या ही करनी है तो वह लुधियाना में क्यों जाएगा और उसके फोन की कॉल डिटेल खंगालने से क्या जानकारी हासिल हो रही थी लोगों को इसके बारे में कुछ पता नहीं था। सिर्फ क्यास लगाए जा रहे थे कि ऐसा हुआ होगा, लड़की यहां से रेलवे स्टेशन तक कहां कैसे पहुंची उसने टिकट कहां का लिया, वह कहां जाना चाहती थी उसके मन में क्या था इसका कोई भी पता नहीं था। लेकिन एसएसपी बनाम तोष ने सुंब में लगाये गये पब्लिक दरबार में अपना वायदा निभाते हुए उसके कातिल को महज कुछ ही समय के अंतराल में पकड़ लिया है। जिस केस में 8 महीने से कुछ भी नहीं निकला था और केस दब सा गया था उन्होंने इसको थोड़े दिनों के अंतराल में ही हल करके दिखाया है और मडकोली तलूर के ही रहने वाले सुनील शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। इससे लोगों में यह संदेश गया है की पुलिस चाहे तो वह कुछ भी कर सकती है और कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और कभी भी आरोपी कानून से बच नहीं सकता बशर्ते कानून के रखवाले अच्छे हो। यह बात भी सही है कि काली भेड़ें तो हर एक जगह होती हैं और हर कोई एक सा नहीं होता। हम सांबा पुलिस की इसके लिए भरपूर प्रशंसा करते हैं। एसएसपी सांबा द्वारा बनाई गई सिट निश्चित तौर पर ही छान बीन कर रही है कि इसमें और कौन-कौन से लोग थे जो उसकी उसकी हत्या करने में और किडनैप करने में शामिल थे क्योंकि निश्चित तौर पर यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं हो सकता है। निश्चित ही यह लोग अपना समाज में रोब दाब रखते होंगे जा या और भी कई वजह होगी कि वह अभी तक कानून की गिरफ्त में नहीं आ सके। लेकिन अब इन बड़ी मछलियों पर गाज गिर सकती है और वह दिन दूर नहीं जब ये लोग कानून की गिरफ्त में होंगे। एसएसपी सांबा ने अपने दो ढाई महीने के कार्यकाल के अंतराल में ही तकरीबन 40 से ज्यादा चोरों को पकड़ा है इसके अलावा उन्होंने 25-30 के लगभग हेरोइन स्मगलर को भी पकड़ा है और गोवंश की तस्करी करने वालों पर लगाम कसते हुए उन्होंने एक ही दिन में 205 गोवंश की रक्षा की थी। उन्होंने इसके अलावा उन्होंने कई रेप केस के मुजरिमों जोकि कई वर्षो से फरार थे उनको भी पकड़ा है। उन्होंने पुलिस डिपार्टमेंट में आमूलचूल परिवर्तन करके उसकी छवि को एक नया रूप दिया है और लोगों को यह विश्वास दिलाया है कि वह चैन की नींद सो सकते हैं, उन्हें चोरों का कोई खतरा नहीं है, उनके बच्चों को ड्रग्स तस्करों से डरने की जरूरत नहीं है और उनकी बच्चियां भी सुरक्षित है चाहे वह कहीं भी पढ़ने जाएं।
एसएसपी सांबा को इसके लिए साधुवाद।
Tuesday, February 28, 2023
क्या विशाली को इंसाफ मिलेगा???
एसएसपी सांबा बेनाम तोष द्वारा सुंब में लगाएंगे पब्लिक दरबार में एक बार फिर विशाली नाम का घाव कुरद कर सामने आ गया। बहुत सारे वक्ताओं ने एसएसपी सांबा द्वारा लगाए गए इस पब्लिक दरबार में कई बातें की जिनमें वहां पर एक बस सर्विस के अलावा स्कूल के आसपास मंडराते हुए लड़के मोटरसाइकिल, सुंब इलाके में अलग-अलग जगह पर मंदिरों और अन्य जगह पर हुई चोरियां और उसके अलावा एक वक्ता के बोलने पर विशाली नाम का वह घाव जिसका कोई इलाज नहीं है, जो लगातार रिस रहा है, वह फिर से सामने आ गया और फिर से एक सवाल खड़ा हो गया कि क्या विशाली को इंसाफ मिलेगा। जब यह बात वहां पर एक वक्ता नरेश शर्मा द्वारा बोली गई तो उस वक्त विशाली के पिता वहीं पर खड़े थे और आंसू बहा रहे थे पूरी बातचीत के दौरान वह सिर्फ आंसू ही बहाते रहे। अब जब वक्ताओं ने यह बताया कि सारे सीसीटीवी फुटेज बगैरा कॉल डिटेल अगर पुलिस के पास है तो आखिर क्या वजह है कि विशाली के हत्यारे आज तक पकड़ से बाहर हैं। सनद रहे कि विशाल नाम की युवती जो कि सांबा के ही दूरदराज के इलाके मरकओलई की रहने वाली थी और सांबा के कॉलेज में पढ़ती थी। उसकी लुधियाना के पास ट्रेन में आज से तकरीबन 7 महीने पहले गिरकर मौत हो गई थी। मौत के कारणों का कुछ पता नहीं चल पाया था। कई लोगों ने इसको हत्या बताया और कई लोगों ने इसको आत्महत्या बताया। लेकिन जिन संदिग्ध परिस्थितियों में विशाली की मौत हुई थी उससे तो यह साफ जाहिर है कि कहीं ना कहीं कुछ दाल में काला था। आखिर कैसे कॉलेज पढ़ती हुई लड़की अपनी सहेलियों से अलग होकर कि उसकी मां बीमार है, वहां से निकलकर किस प्रकार लुधियाना तक ट्रेन में पहुंच गई। एकदम से इस तरह का निर्णय नहीं लिया जा सकता और अगर उसने निर्णय लिया तो इसका पीछे कोई वजह ही होगी उसके उसके फोन की डिटेल खंगालने से अवश्य कुछ ना कुछ मिलेगा। कुछ भी उस समय इसके बारे में कुछ बाहर नहीं आया और महज पुलिस डिपार्टमेंट ने जैसे चुप्पी साध ली मौत के कारण क्या रहे क्या यह हत्या थी यह थी या आत्महत्या थी और यदि आत्महत्या भी थी तो आत्महत्या क्यों की गई, यह भी कुछ सामने नहीं आया। लोग इंसाफ की गुहार लगाते रहे कैंडल मार्च निकालते रहे लेकिन पुलिस के कान पर जूं नहीं रेंगी। लेकिन जिस तरह से एसएसपी बेनाम तोष के आने के बाद पुलिस की शादी में आमूलचूल परिवर्तन आया है। लोगों को एक उम्मीद की किरण दौड़ गई है। छोटे से 2 महीने के अंतराल में ही है 38 चोरों के अलावा 16 हेरोइन स्मगलर, सोना चांदी, मोबाइल फोन, खनन माफिया और बोवाइन स्मगलिंग की कई कोशिशों को दूर किया है। सनद रहे कि सांबा में यह वही चोर थे जिन्होंने लोगों की नाक में दम कर रखा था और पुलिस की नाक के नीचे ही चोरी करके सामान उड़ा ले जाते थे। कल ही उन्होंने एक बहुत बड़ी गोवंश की तस्करी की कोशिश को नाकाम किया और तकरीबन 205 गोवंश को बचाया। इससे लोगों में उम्मीद की किरण दौड़ गई है। एसएसपी साबा के इस प्रकार से कार्य करने से लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है उन्होंने 48 पुलिस अफसरों की तबादला करने के साथ पुलिस में आमूल चूल परिवर्तन लाया है। आप जब लोगों ने जब उनके आगे विशाली का रोना रोया तो उन्होंने लोगों को उसी वक्त आश्वस्त करते हुए कहा कि उनकी उन्होंने डीएसपी, एसएचओ सांबा और चौकी अफसर गौरन को यह दिशा निर्देश दे दिए हैं कि यहां पर जितनी भी तहकीकात है उसको जल्द से जल्द खत्म किया जाए, पूरा किया जाए और यहां तक पंजाब पुलिस की बात है तो वह वहां के डीजी, डीआईजी और एसएसपी रैंक के अफसर के साथ संपर्क में है और जल्दी ही उनसे पूरी डिटेल बरामद कर ली जाएगी और इसको वह हल करके ही छोड़ेंगे। उनके इस इस उनके इस आश्वासन से लोगों में एक उम्मीद की किरण दौड़ गई है और अब यह लगता है लोगों को कि विशाली को इंसाफ मिलेगा।
Saturday, February 25, 2023
Is the incident of Amritpal is a well planned conspiracy???
People are watching how Amritpal Singh came suddenly in the line light for his notoriety & asking for the Referendum & Khalistan. They also watched how the mob attacked Ajnala police station in Amritsar, Punjab & demanded the release of Lovepreet Toofan (close aide of Amritpal) in broad light terror. When we enqire about the whereabouts of Amritpal Singh, we find, according to the the reliable sources that Amritpal Singh worked in transport business in Dubai & came back only in 2022 and became head of ‘Waris Punjab De’ organization. Some media posts are also viral regarding his previous looks although Samba Times doesn't claim the genuineness of this.
As Dubai is always a shelter & grooming place for the terrorists & mafia dons & potential place for Pakistan's ISI, so the things can easily be understood.
His Khalistan Narrative is not an emotional outburst at the spur of the moment but it is well planned as we have seen in past days that Khalistanis attacked Indian consulate in Australia
& unfurled their flag there. In the same way Khalistani supporters raise slogans outside the Indian consulate in England.
It seems that it is a well planned conspiracy to disturb the tranquility of the Punjab State.
Chairman of the all India Anti terrorist front Maninder Jeet Singh Bittta (former minister in the Beant Singh Govt when militancy was in peak in Punjab) was very vocal on this issue and condemned the incident. He was against the very idea of the Khalistan.
He said which type of Khalistan state is demanded by the Khalistanis. He said all over India are the religious places of the Sikhs.It means we need a passport to go outside to visit all other Sikh religious places including Patna Sahib, etc.
Recording to report of a TV channel such type of incidents as in Ajnala day before yesterday happened in month of June and February in Punjab on the anniversary of operation Blue Star & on one other occasion also when the Khalistanis bumped over the police on horses etc & attacked the police with sticks & swords.
So whatever we the causes it is necessary to nip the evil in the bud as it may take a dramatic & violent turn and the situation may become the same as in the time of Bhindra wala when the successive Govt failed to check his nefarious moves intime.
Saturday, February 11, 2023
Closing of crossing at SIDCO Chowk in Samba: An act without homework!!!
The crossing at the SIDCO Chowk Samba on national highway 44 is closed by the national highway authority of India recently thus making it impossible to cross the large truck & Trallas coming from Jammu to enter in the SIDCO Industrial Complex & also the vehicles coming/going from ahead of BDO Block Samba towards Jammu to take turn & come on the NH 44 back to enter in Samba town.
From the first look it seems that it is an act by the authority without doing any homework. This closing of the crossing poses a difficult situation for the people of the Samba as the road/by lane on the left side while going to Jammu from Samba has many commercial centres like BDO office, Indian Oil Petrol Pump, Mansar Gas Agency Godown, Punjab National Bank, Usha Electronics, Sabzi Mandi, Union Bank, LIC, State Bank of India, Bharat Petrol Pump etc.; If we l say that it is the commercial hub of Samba town it is not an exaggeration and daily hundreds of person visit at these places especially in PNB Bank, Union Bank, State Bank of India, LIC office and the petrol pumps that comes in between them.
Now after visiting these commercial places earlier they have to take their turn from SIDCO Crossing and again enter in Samba but due to closing of this crossing they now have to go near Mansar Morh and have to use the crossing there which is underneath the flyover and is somewhat dangerous as the vehicles from Jammu side comes very fast and the curve is blind. It also give them an extra burden of fuel and extra distance of nearly about 2 km.
Not only this situation is more cumbersome for industrial units because the trucks that are coming from Jammu, as the can't use the SIDCO road crossing, they have to enter in Samba and use the first from Hungry Point Restaurant and have to use the by lane to go to SIDCO industrial complex and as this road/ by lane is not so wide after Indian Oil Petrol Pump so their is always situation of jam on this bylane. Moreover the autos that are that are coming from the sabji mandi they have to avoid 2 km extra distance and take the route back from Sabji Mandi to Samba thus causing more disturbance and more jam like situation. It was earlier better that the trucks that were coming from SIDCO came directly on the national highway from the SIDCO chowk and the people of Samba also used this crossing to enter in Samba.
So it appears that the step taken by the national highway authority is taken without any homework and it is source of disturbance and misery for the people of Samba. So it's our appeal to district administration Samba especially DC Samba who is known for her people friendly approach & work ethics to kindly intervene in the matter so that people of Samba may take a seigh of relief.
हिंदी में पढ़ें
राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर सिडको चौक सांबा पर क्रॉसिंग को हाल ही में भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बंद कर दिया गया है, जिससे जम्मू से आने वाले बड़े ट्रक और ट्रालों को सिडको औद्योगिक परिसर में प्रवेश करना और साथ ही आने/जाने वाले वाहनों को पार करना और वापस सांबा शहर में प्रवेश करने के लिए एनएच 44 असंभव हो गया है।
प्रथम दृष्टया देखने पर ऐसा लगता है कि यह अधिकारियों द्वारा बिना कोई होमवर्क किए किया गया कृत्य है। इस क्रॉसिंग के बंद होने से सांबा के लोगों के लिए एक मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि सांबा से जम्मू जाते समय बाईं ओर सड़क/लेन पर बीडीओ कार्यालय, इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप, मानसर गैस एजेंसी गोदाम, पंजाब नेशनल बैंक, उषा इलेक्ट्रॉनिक्स, सब्जी मंडी, यूनियन बैंक, एलआईसी, भारतीय स्टेट बैंक, भारत पेट्रोल पंप आदि जैसे कई वाणिज्यिक केंद्र हैं; यदि आप यह कहें कि यह व्यावसायिक केंद्र है और रोजाना सैकड़ों लोग इन जगहों पर आते हैं तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, खासकर पीएनबी बैंक, यूनियन बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एलआईसी कार्यालय और उनके बीच आने वाले पेट्रोल पंपों पर।
इन व्यावसायिक स्थानों पर जाने के बाद पहले उन्हें सिडको क्रॉसिंग से वापिस मुड़ना पढ़ता था और सांबा में फिर से प्रवेश करना पड़ता था। लेकिन इस क्रॉसिंग के बंद होने के कारण उन्हें अब मानसर मोड़ के पास जाना पड़ता है और वहां क्रॉसिंग का उपयोग करना पड़ता है जोकि फ्लाईओवर के नीचे है और है कुछ हद तक खतरनाक है क्योंकि जम्मू की तरफ से वाहन बहुत तेज आते हैं और वक्र अंधा है। इसके अलावा उन्हें ईंधन का अतिरिक्त बोझ और लगभग 2 किमी की अतिरिक्त दूरी भी पड़ती है।
यही नहीं औद्योगिक इकाइयों के लिए यह स्थिति अधिक बोझिल है क्योंकि जो ट्रक जम्मू से आ रहे हैं, क्योंकि वे सिडको रोड क्रॉसिंग का उपयोग नहीं कर सकते हैं, उन्हें सांबा में प्रवेश करना होता है और हंग्री पॉइंट रेस्तरां से पहले वापिस मुड़ना पड़ता है और सिडको औद्योगिक परिसर जाने के लिए बाईलेन का इस्तेमाल करना होता है और चूंकि यह सड़क/बाई लेन इंडियन ऑयल पेट्रोल पंप के बाद इतनी चौड़ी नहीं है, इसलिए इस बाइलेन पर हमेशा जाम की स्थिति रहती है। इसके अलावा जो ऑटो सब्जी मंडी से आ रहे हैं, वो 2 किमी अतिरिक्त दूरी से बचते हैं और वापस वही लेन का उपयोग करके सांबा में पहुंचने की कोशिश करते हैं जिससे अधिक गड़बड़ी और जाम जैसी स्थिति पैदा हो जाती है। पहले अच्छा था कि सिडको से आने वाले ट्रक सिडको चौक से सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग पर आ जाते थे और सांबा के लोग भी सांबा मेंं फिर से प्रवेश करने के लिए इसी चौराहे का इस्तेमाल करते थे।
तो ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा उठाया गया कदम बिना किसी होमवर्क के लिया गया है और यह सांबा के लोगों के लिए दुश्वारी और दुख का स्रोत बन गया है। इसलिए हमारी जिला प्रशासन सांबा से अपील है विशेष रूप से डीसी सांबा सेे जोकि अपने लोगों के अनुकूल दृष्टिकोण और कार्य नैतिकता के लिए जानी जाती हैं कि वह कृपया इस मामले में हस्तक्षेप करें ताकि सांबा के लोग राहत की सांस ले सकें।
Wednesday, May 26, 2021
Is inquiry going on against many terrorist-friendly government employees, including officers in J&K???
The erstwhile state of Jammu & Kashmir was a terrorism infested state and there is no doubt that many government employees and others were the overground workers or the sympathizers of militancy. Even the governments of that times although they knew each and everything but they did not take any steps to stop this or you can say overlooked this. Although in some case of some FIRs registered against them and even PSA was slapped against some of these but these were the only half hearted measures as nothing concrete was done against these thereby making them more vulnerable. With the abrogation of article 370 and 35 A and becoming of state into Union Territory of Jammu and Kashmir and Ladakh, the situation is drastically changed and since then the scrutiny is going on of all these employees who have some dark shades in their character. From the last two three months, we saw some of them were dismissed and in the interest of security of the state. Davinder Singh Deputy SP of the police and two teachers Idrees Jan are some of the person dismissed by the LG administration inciting special clause of article 311 of the Constitution of India in which even there is no need of enquiry. Now the question is the how many of the Government employees, who were the sympathizes of terrorism and against whom, the enquiry is going on. If we believe on sources, there are more than 500 employees in the various departments of the union territory against which enquiry is going on and there is a fear among these that the noose is getting tighter against their necks and they will be dismissed at any time from their service. There should be fear of laws of the land in the citizens of every nation and if it is not then there will be total chaos. How can a person who has 2-3 FIRs on his name and double time slapped PSA, was still doing his job is the question that ponders in the mind of each and every and citizen. Now with the dismissal of services of these employees, the Govt has given a clear cut signal that no one will be spared if the case is in the interest of the Security of the State.
Sunday, May 23, 2021
आखिर कब खत्म होगा जम्मू से भेदभाव???
जम्मू वासियों की तरफ से अक्सर ही डिस्क्रिमिनेशन/ भेदभाव का मुद्दा उठता ही रहता है अक्सर बात यह होती है कि हर किसी मसले में चाहे वह नौकरियों का मसला हो फंड्स का मसला हो या और कोई विकास का मसला हो जम्मू किते खींचते खेते के साथ भेदभाव किया जाता है अभी पिछले ही दिनों हमने यह देखा था कि जो राज्यपाल महोदय ने जो पैसा J&K रिलीफ के तौर पर कोविड-19 समय में बांटा था यह पैसा जो कि खच्चर वालों, पिट्ठू वालों और टूरिस्ट गाइड के लिए था। इस पूरे 3 करोड के लोगों की राशि में जम्मू वालों के ही तो खाते में सिर्फ एक लाख 68 हजार के लगभग पैसा आया थ। अब दूसरा नवीनतम उदाहरण हमें देखने को मिला है कोविड-19 अस्पताल जम्मू में जो कि डीआरडीओ के साथ मिलकर बन रहा है, में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जम्मू और एसोसिएटेड हॉस्पिटल की तरफ से ये एडवर्टाइजमेंट निकली है में यह साफ तौर पर लिखा है उसमें j&k यूनियन टेरिटरी का कोई भी व्यक्ति, जिसके पास जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी का डोमिसाइल सर्टिफिकेट हो, उसमें अप्लाई कर सकता है। और ऐसा ही जो 500 बेड की केपेसिटी बाला कोविड-19 श्रीनगर में बन रहा है, वहां उन्होंने लिखा है कि सिर्फ कश्मीर का रहने वाला व्यक्ति ही इसमें आवेदन कर सकता है। तो एक ही यूनियन टेरिटरी में जो अलग-अलग तरह के कायदे कानून यह सिद्ध करते हैं कि जम्मू वालों के साथ भेदभाव अभी भी जारी है। अगर जम्मू में कोविड-19 अस्पताल बन रहा है तो उसमें कोई भी अप्लाई कर सकता है अगर ऐसा ही अस्पताल श्रीनगर में बन रहा है तो उसमें सिर्फ श्रीनगर कश्मीर डिवीजन का व्यक्ति ही आवेदन कर सकता है। तो यह भेदभाव का यह ताजातरीन उदाहरण इस वक्त सोशल मीडिया में चर्चा में है हम राज्यपाल महोदय से यही विनती करना चाहेंगे कि जम्मू वासियों के साथ जो भी भेदभाव पिछले कई दशकों के साथ होता आया है उसको अब खत्म होना चाहिए। जम्मू वासियों को अब एक यह महसूस होना चाहिए कि राज्यपाल महोदय के होते हुए वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उनके हक इस गवर्मेंट के होते बिल्कुल सुरक्षित हैं जहां कोई यह भी बात कर सकता है कि जम्मू में जो वैकेंसी निकली है वह ज्यादा है लेकिन बात सिर्फ वैकेंसीज कि नहीं, वैकेंसी चाहे एक हो दो हो चाहे 20 हो। बात है कि अगर जम्मू डिवीजन में एक अस्पताल बनता है तो उसमें यही होना चाहिए कि उसमें जम्मू डिवीजन का ही व्यक्ति उसमें आवेदन कर सकता है और अगर कश्मीर के लिए निकलता है तो उसमें कश्मीर का ही आवेदन कर सकता है। या दोनों में यह पैमाना होना चाहिए कि जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी का कोई भी व्यक्ति इन दोनों अस्पतालों में आवेदन कर सकता है।
Thursday, May 6, 2021
क्या डिस्टिक सांबा का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत है करोना का वेग संभालने के लिए।
इस वक्त जैसे की करोना का खौफ चल रहा है। हर एक जगह तकरीबन रोज ही करोना के नए-नए के सामने आ रहे हैं। इतना ज्यादा केस होने से जो हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर है उस पर इसका बहुत ही भारी लोड है। अभी हमने विजुअल देखे थे की चेस्ट डीजी़जस् हॉस्पिटल जम्मू के, यहां पर लोगों को बेड नहीं मिल रहे हैं और वह बाहर ही ऑक्सीजन का सिलेंडर लेकर कहीं सीड़ियों में, कहीं पार्क में कहीं फुटपाथ पर ही सोए पड़े हैं। इसी तरह से अगर हम बात करें तो सांबा डिस्टिक की बात करें सांबा डिस्टिक भी पिछले दिनों ही लॉकडाउन के दायरे में आया था।जम्मू कश्मीर में चार डिस्ट्रिक्ट में लॉकडाउन को बढ़ाया गया था और सांबा डिस्टिक की लॉक डाउन के लिए नई एडिशन हुई थी, यहां भी हालात कुछ ठीक नहीं दिखते हैं। आज ही बड़ी ब्राह्मणा के इलाके में 4 माइक्रो कंटेनमेंट जोन आई है। हम आपको यह बताना चाहते हैं कि अगर सांबा डिस्टिक में हालात बिगड़ते हैं तो क्या सांबा डिस्ट्रिक्ट का हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर इन को संभालने के लिए तैयार हैं। अगर हम बात करें डिस्टिक सांबा के सुंब एरिया की जिसमें 8 पंचायतें हैं और जिसके आबादी 20-25 हजार के करीब है। और इतनी आबादी की देखभाल करने के लिए वहां पर एक ही प्राइमरी हेल्थ सेंटर है जिसमें सिर्फ तीन ऑक्सीजन सिलेंडर ही उपलब्ध है।अभी तक कोविड-19 की सेकंड वेव के चलते यहां पर, इस इलाका में कोई केस नहीं आया है कोई माइक्रो कंटेनमेंट जोन नहीं बनी है। हालांकि पहली करोना वेव में सुंब एरिया में भी माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनी थी। लेकिन अगर कल को कहीं करोना ने इस इलाके में दस्तक दी तो प्राइमरी हेल्थ सेंटर उस वक्त को संभालने के लिए तैयार होगा। तीन ऑक्सीजन सिलेंडर से कितने ही लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध हो पाएगी। हम एडमिन्सट्रेशन से यही प्रार्थना करते हैं कि वक्त की नजाकत को देखते हुए पहले से ही सुंब के अस्पताल में कुछ इस तरह के अरेंजमेंट किए जाएं कि कम से कम वहां पर 50 के लगभग करोना मरीजों की ऑक्सीजन के लिए और मेडिकेयर का इंतजाम हो सके ताकि सांबा के डेडीकेटेड कोविड-19 डिस्टिक हॉस्पिटल पर इसका लोड ना पढ़ सके और स्थिति बिगड़ने से बच सके।
Tuesday, November 10, 2020
सुंब रोड और राजनीति
डिस्ट्रिक्ट डैवलपमैंट काउंसिल चुनाव नजदीक आते ही सुंब रोड को लेकर राजनीति फिर गरमा गई है। सांबा से सुंब से डाबी तक की रोड जो सांबा से सुंब तक 14 किलोमीटर और गौरन तक 21 किलोमीटर है कई दशकों से इसका निर्माण चल रहा है जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है। वह आज से कई दशकों पहले इसकी आवाज उठी थी लेकिन इतना समय गुजर जाने के बाद भी सांबा से सुंब तक की रोड का निर्माण कार्य नहीं हो पाया। सबसे बड़ी समस्या इस रोड में पढ़ते-पढ़ते कोई 7-8 नालों की थी, उनको पाटे बिना, उनके ऊपर पुलिया बने बिना रोड पूरी नहीं हो सकती। जब बीजेपी की सरकार आई तो बडे जोशोखरोश के साथ सांबा से सुंब तक की रोड का निर्माण कार्य शुरू करवाया पर इतनी देर गुजर जाने के बाद भी रोड का थोड़ा भी काम पूरा नहीं हो पाया है, इसलिए बरसात के दिनों में रोड पूरी तरह से कहीं तालाब और कहीं दलदल का रूप ले लेती है खासकर पलाई ढक्की के पास। अब जबकि डिस्टिक डैवलपमैंट कोउंसिल के चुनाव आ रहे हैं तो कुछ सामाजिक कार्यकर्तायों पंचो और वहां के लोगों ने मिलकर सुंब कि इस मेन रोड को एक मुद्दा बना लिया है कि जब तक इस रोड पर काम शुरू नहीं हो जाता यह रोड कंप्लीट नहीं हो जाती तब तक डीडीसी चुनाव का बहिष्कार करेंगे और वोट नहीं डालेंगे। एक तरफ से आपकी आपको उनकी आवाज सही लगती है क्योंकि इतने दशक गुजर जाने के बाद भी अगर यहां पर रोड नहीं बन पाई तो यह किसकी नालाइकी है। सरकारें यहां पर क्या कर रही थी पर अगर राजनीति की बात करें तो अभी पीछे बीडीसी की इलैक्शन भी हुई थी लेकिन तब इस तरह की कोई आवाज सामने नहीं आई थी। लेकिन अगर अब डीडीसी इलेक्शन में यह आवाज उठी है उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पार्टी की तरफ से टिकट ना मिलना, प्रतिनिधित्व की कमजोरी आदि। लेकिन यह मुद्दा अब काफी गरमा गया है और वहां के लोग इस मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल तक का आयोजन भी कर रहे हैं जिनको कुछ संगठन समर्थन भी दे रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या जो चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं उन लोगों के लिए बन गई है जैसे कि एक पार्टी ने यहां से पंचायत के पूर्व सरपंच का नाम संभावित कैंडिडेट के तौर पर उबर रहा है तो इसी तरह से और भी सरपंच भी इस इलेक्शन को लड़ने के इच्छुक हैं। इन लोगों के साथ कुछ नए युवा चेहरे और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं। लोगों की बातों से साफ जाहिर होता है कि जो रोड है यह सब के लोगों की लाइफ लाइन है। उनकी जिंदगी का एक हिस्सा है इसलिए कोई भी यह बात नहीं कह सकता कि यह रोड नहीं बननी चाहिए। सभी पार्टी की यह डिमांड है कि रोड बननी चाहिए। सनद रहे कि पूरे जम्मू कश्मीर हिमाचल और पंजाब प्रसिद्ध बाबा गोरन देवस्थान भी इसी रोड पर है यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और हर साल वहां पर एक विशाल दंगल का आयोजन होता है जिसमें नामी गिरामी पहलवान पूरे देश से हिस्सा लेते हैं। रोड ना होने से अभी तक यह स्थान टूरिज्म मैप पर नहीं आ पाया है क्योंकि इतनी टूटी फूटी सड़क से वहां पहुंचने में 1 घंटे से भी ज्यादा समय लगता है जबकि सांबा से विजयपुर का सफर है वह 10 किलोमीटर मात्र 10 मिनट में ही हो जाता है। अब रही बात डीडीसी के चुनाव की तो जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं जिनको पार्टी के लिए टिकट मिल रही है तो उनके लिए यह आगे कुआं पीछे खाई वाली बात हो जाती है क्योंकि ना तो वह खुलकर यह कह सकते हैं कि यह लोग बाकी लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं और यह सब चुनावी राजनीति है, रोड के मुद्दे पर चुनाव का बहिष्कार ठीक नहीं है। और ना ही वह यह बोल सकते हैं कि हमें रोड चाहिए हम रोड के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ेंगे। क्योंकि लोग उनको यह भी पूछ सकते हैं अगर आप तो रोड के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं तो अभी तक रोड क्यों नहीं बन नहीं पाई है तो फिर बहिष्कार क्यों नहीं करते इस चुनाव का। इस तरह यह उनके लिए आगे कुआं पीछे खाई बड़ी बात ही साबित हो रही है।
Friday, October 16, 2020
India & war against Covid -19
895 case fatalities have been reported in the past 24 hours. Of these, nearly 82% are concentrated in ten State/UTs of Maharashtra, Karnataka, West Bengal, Tamil Nadu, Chhattisgarh, Andhra Pradesh, Uttar Pradesh, Punjab, Odisha and Delhi. 79 percent of new cases ate from 10 states and UTs.
Some states/UTs are performing better and reporting much lower deaths/million population than the national average. 22 States/UTs have demonstrated better performance and are reporting even lower deaths per million compared to the national average. The national average is 81 as of today.
Some big states of India such as Bihar has national average of 03 and Uttar Pradesh which is the biggest state of India has an an average of 27 deaths per million population.Madhya Pradesh s on 31. So it is a very good sign as we compare it with the world tele, the nation's of America's such as USA, Brazil, Colombia, Argentine, Mexico, Peru Chile, Canada, Costa Rica, Ecuador has National average of of deaths per million population is more than 150. If we say about the modernized countries of the world such as USA it has 626 Canada has 249, France 419, United Kingdom 623 Spain 686, Israel 188, Germany 114, Italy 595, Brazil 604, a Argentina 456, Mexico 609etc. So if we compare these with India we can say that India has very well controlled the pandemic and now the situation is very well especially if we watch it from the angle of huge population of India and health care facilities at their disposal.
Monday, October 12, 2020
Roshni Land Scam: Politicians, Bureaucrats and Land Mafia
In much publicized infamous Roshni Land Scam, the division bench of of J&K High Court comprising Chief Justice Gita Mittal and Justice Rajesh Bindal has transferred the Roshni land Scam to the Central Bureau of Investigation. The division bench has observed that Roshni scheme promoted 'loot' on policy and
the looters managed a legislation to facilitate their nefarious design because of their deep penetration into the corridors of power and authority
The division bench also observed that we have not come across any such legislative state action legtimizing criminal activity at the cost of national and public interest with incalculable loss and damage to the public exchequer and the environment without any financial or other impact assessment. The division bench has remarked that those in power and the respondents have completely failed to discharge their constitutional functions, their statutory duties and public law applications towards the public to whom they owe their very existence. Stating that J&K state lands (vesting of ownership to the occupants rules 2001) clearly ultrawires the parent act. The division bench said
No approval of these rules were sought from the legislature and these were unauthorisedly published in the government gadget
and shockingly these rules were in excess of the powers conferred by the statue and in contradiction with the prohibitions contained therein and this was done despite the mandate of the constitution and the law laid down by the supreme court and this executive action did not have the clearance of the legislation speaks volumes about the influence of the beneficiaries. Pointing towards various judgements of Supreme Court and high court of the country, the division bench headed by chief justice said public property has to be dealt with fairly and the distribution thereof has to be equally done for a public purpose ensuring maximum consideration. The division added the enactment has been worked to facilitate illegal vesting of state lands in the hands of powerful despite the mandate of the land regarding distribution of largess by the state. The division bench has declared that all acts done under the Jammu and Kashmir land vesting of ownership to the occupants act 2001 known as Roshani schemes as unconstitutional and void ab initio and directed that Large tracks of state land vested under the scheme and those still under illegal encroachment must be retrieved in accordance with the law. Moreover the highest court of the union territory of Jammu and Kashmir has stressed that appropriate Criminal action must be taken against all those who had committed the alleged illegal acts of ommission and cmmission. The division bench further observed that land vesting of ownership to the occupants act 2001 is in complete violation of the provisions of the constitution and binding principles laid down by the supreme court as such is ultrawires to the constitution and void ab initio from its very inception. It said the legislation adversely impacts the rights granted to the people under article 14 and 21 of the Constitution of India. The High court further observed
the projected object of supporting Hydel Projects out of the same proceeds was only in order to give semblance and propriety to the object
It is pertinent to mention that while making the Roshni Act of 2001, the then finance minister had claimed that the scheme would generate resources worth rupees 25448 crore which would be utilised on raising Big Power Projects and making the state self sufficient in electric power but CAG report pointed out that astonishingly just rupees 76 crore had been generated after umpteen extensions to the act in operation in 12 years. Moreover 20 lakh kanal of the state land unauthorisedly formalized on the name of Roshni Act of 2001. The Roshni Act was came into surface when principal Accountant General for Jammu and Kashmir added a special audit of the so-called Roshni scheme on the recommendations of the state advisory committee of the Comptroller and Auditor General of India in 2012 and 2013. According to its reports the state caused loss of rupees 25000 crore to the exchequer by way of giving huge chunks of state land virtually for free to those who had grabbed it illegally.
This judgement of the court again clearly reflects that how much land mafia has penetrated in our political circles and has the sway on them & how the erstwhile state of J&K was the den of corruption.
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Wednesday, September 30, 2020
सांबा में बनने वाला वेस्टेज मैैैनेजमैंट/ डिस्पोजल प्लांट। सेहत और पर्यावरण संबंधी मुद्दे
विकास किसी भी देश के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि विकास से देश में रोजगार के साधन खुलते हैं और देश की तरक्की होती है। अगर विकास के साथ पर्यावरण के मुद्दों को भी ध्यान में रखा जाए तो यह सोने पर सुहागे वाली बात होती है लेकिन अगर विकास के समय पर्यावरण के मुद्दों को नजरअंदाज किया जाए, उन को दरकिनार किया जाए तो ऐसा विकास किसी भी काम का नहीं है। हम यहां पर बात कर रहे हैं सांबा में लगने वाले वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की। सांबा में मदेरा गांव के ठीक पीछे इंडस्ट्रियल ग्रोथ सेंटर में एक बेस्ट मैनेजमेंट कम डिस्पोजल प्लांट लग रहा है उसके लिए वहां पर तकरीबन 7 एकड़ जमीन ली गई है और वह सारी जमीन जो है वह पहाड़ियां है जिन को मशीनें लगाकर प्लेन किया जा रहा है और वहां पर जितने भी पेड़ हैं वह काट दिए गए हैं उखाड़ दिए गए हैं और पूरी हरियाली को वहां पर तहस-नहस किया जा रहा है और पर्यावरण की बिल्कुल अनदेखी की जा रही है। गौरतलब यह है कि यह जगह सांबा के लोगों के लिए हवा ताजी हवा ऑक्सीजन का एक बहुत बड़ा स्रोत है। पहले सांबा के लोग सुबह की सैर के लिए आर्मी ग्राउंड मंडी में जाते थे जोकि आर्मी द्वारा अब बंद किया जा चुका है तो अब यही एक जगह की यहां पर सांबा के लोग सुबह की सैर के साथ अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे इसके अलावा भी सांबा के लोगों को जो कि ऑलरेडी पोलूशन के साए में जी रहे हैं क्योंकि सांबा में फेस वन में फेस टू में बहुत सारी ऐसी फैक्ट्रियां लगी है जो कि पोलूशन का केंद्र बनी हुई है इनमें पेस्टीसाइड फैक्ट्रीज है, सीमेंट फैक्ट्री है तो यह जगह यहां पर हरियाली का और स्वच्छ हवा का एक बहुत बड़ा साधन थी जैसा की जम्मू में मोह माया के जंगल है वह जम्मू के लिए लंगस का काम करते हैं इसी तरह से यह जगह भी सांबा के लोगों के लिए उनके लंगस, उनके फेफड़े का काम कर रही थी। अगर यहां पर निर्दयता से पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ की जाती है और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा उनको कंसेंट लेटर दिया जाता है तो यह भी एक बहुत बड़ी सोचने की बात है क्योंकि इस जगह के बिल्कुल साथ में लगता चक मंगा रकवाल गांव है इसके अलावा कैहली मंडी भी इसके बिल्कुल साथ है और रख अबं टाली गांव भी इसके पास ही है। सांबा से इसकी दूरी मात्र कोई 3 किलोमीटर होगी। तो इसका मतलब यह हुआ कि ऐसे वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में यहां पर पूरी फैक्ट्रीज़ का, इंडस्ट्रीयल बेस्ट का शोधन होगा तो वहां की हवा किस तरह की होगी और वहां से किस प्रकार की बीमारियां फैल सकती है इसका अंदाजा लगाना ही मुश्किल है। पोलूशन कंट्रोल बोर्ड के लेटर में लिखा है hazardous waste, अगर इस बेस्ट कि यहां पर फिलिंग की जाती है जाती है तो यह बारिश में कभी भी रिस सकता है और सांबा के वाटर टेबल को जो इंडस्ट्रीज के चलते खराब होने के खतरे पर है पर है उसको और ज्यादा खराब कर सकता है जिससे सांबा के लोगों में बीमारियां फैल सकती हैं। इस संबंध में यूथ फॉर सोसाइटी के चेयरमैन और समाज सेवी राहुल संबयाल से बात की। राहुल संबयाल का कहना है कि " जो विकास है यह किसी भी देश की जरूरत है और सांबा एक इंडस्ट्रियल टाउन है हम मानते हैं और यह प्लांट सांबा के लोगों की डिमांड थी। इंडस्ट्रीज के चलते यहां पर एक बेस्ट मैनेजमेंट कम डिस्पोजल प्लांट होना चाहिए तो उसको लगाना प्रशासन का एक स्वागत योग्य कदम था। लेकिन जो जगह इसके लिए प्रशासन ने चुनी है वह जगह ठीक नहीं है क्योंकि यह जगह ठीक सांबा के बीच में है और सांबा के लोगों के लिए ताजी हवा का मुख्य स्रोत है। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन इसको इस जगह से उठाकर रेलवे लाइन के पार यहां पर हजारों की संख्या में सरकारी जमीन है और आबादी कम है वहां पर उसको ले जाता है तो यह एक बहुत ही अच्छा कदम होगा। इससे एक पंथ दो काज होंगे एक तो सांबा के लोगों को और प्रशासन को जो कि वह सांबा में एक वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के लिए कोशिश कर रहे हैं, एक तो वह सफल हो जाएगा और दूसरा इस प्लांट के यहां से दूर चले जाने के कारण यह सांबा के लोगों पर बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है जो चिंता का विषय बनता जा रहा है वह भी खत्म हो जाएगा। उन्होंने प्रशासन से यह अपील की कि सांबा के लोगों की सेहत को देखते हुए और पर्यावरण संबंधी मुद्दों को ध्यान में रखकर इस प्लांट को यहां से स्थानांतरित करके रेलवे लाइन के पार कहीं दूर ले जाया जाए।"
Sunday, September 13, 2020
Reduction of Tution Fees of Private Schools
A tweet that went viral on social media yesterday is that of Dr. Ashar Hasan Samoon, Principal Secretary School Education and Skill Development Department, that in the wake of the recent judgements of the High Courts of Madras and Rajasthan; government may direct private schools to reduce tuition fees of students by 30% in view of the closure of schools due to the Covid -19 lock down from March to September 2020, views of parents and management solicited. Although this is not an official order and the views of parents and the school management have invited and a mutual decision on this may be in the coming times. Nevertheless, a wave of happiness in children's parents has run out due to this tweet. They have been demanding for a long time that the school fees of the children be abolished. Although online classes are going on, parents still say that the online studies are not going properly due to so many reasons such poor internet connectivity, new technique and kids are too small for that' so there demand is to reduce the tution fees of their wards. Already due to Covid-19, many of the parents who were in the private sector have also lost their jobs and it is difficult for them to pay hefty fees of their children. In such a situation, this tweet has come as a relief because the way we all know the fees of private schools are very hefty and as you all also know that due to Kovid-19 from March itself to till date, all schools are closed, then how can the school management is charging school fees from the parents of the children and that too in toto. In such a situation, on the condition of anonymity, some private school teachers told us that they are being given only half of salary for online classes and the rest is kept by the school management which is completely illegal. At this time, this tweet by Dr. Ashar Samoon is a very important and a wave of joy has raged in the parents and their children studying in private schools and the way Dr. Asghar Samoon invited the views of parents and school authorities is very important. Because a mutual agreement is the need of the hour. It will definitely be a very good decision for both the private schools and the parents of the children because besides the government schools, private schools have also made a very important contribution in the field of education. So a mutual decision is an exigency which will secure the future of the thousand of the children in this critical phase of Covid-19.
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कल एक ट्वीट जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वह है डॉक्टर असगर हसन समून का जो की प्रिंसिपल सेक्टरी स्कूल एजुकेशन एंड स्किल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के है कि उन्होंने ट्वीट किया है कि जिस प्रकार से मद्रास और राजस्थान के उच्च न्यायालयों के हालिया निर्णयों के मद्देनजर; मार्च से सितंबर 2020 तक कोविड 19 लॉकडाउन के कारण स्कूलों के बंद होने के मद्देनजर, सरकार, निजी स्कूलों के छात्रों की ट्यूशन फीस को 30% तक कम करने का निर्देश दे सकती है; माता-पिता और प्रबंधन के विचार आमंत्रित हैं हालांकि यह कोई ऑफिशियल आर्डर नहीं है और अभी पेरेंट्स के और स्कूल प्रबंधन केेेे विचार जो उन्होंने आमंत्रित किए हैं आने वाले वक्त में उनसे मिल बैठकर ही इस पर कोई डिसीजन होगा। फिर भी बच्चों के पेरेंट्स में खुशी की लहर इस ट्वीट के चलते दौड़ गई है वे काफी समय से डिमांड कर रहे थे कि बच्चों की स्कूल फीस को खत्म किया जाए उन में कुछ कटौती की जाए। हालांकि ऑनलाइन क्लासेस चल रही है पर फिर भी पेरेंट्स का कहना है कि जो ऑनलाइन स्टडीज है वह भी प्रॉपर तरीके से नहीं हो रही है। और कोविड-1 चलते कई पैरंट्स जो की प्राईवेट सैक्टर मे थे उन की नौकरी भी जा चुकी है और उन को लालन पालन के लाले पड गए हैं। ऐसे में यह ट्वीट एक राहत भरी खबर लेकर आया है क्योंकि जिस प्रकार से हम सभी जानते हैं प्राइवेट स्कूल्स की जो फीस है वह काफी भारी भरकम होती है और जैसा कि आप सभी यह भी जानते हैं कि कोविड-19 के चलते मार्च महीने से ही लेकर अभी तक सारे स्कूल बंद है तो स्कूल प्रबंधन किस बात पर बच्चों के पेरेंट्स से स्कूल फीस ले रहा हैऔर वह भी पूरी की पूरी। ऐसे में अपना नाम ना बताने की शर्त पर कुछ प्राइवेट स्कूल के टीचर ने हमें बताया की ऑनलाइन क्लासेज के लिए उनको सिर्फ आदि ही सैलरी दी जा रही है और बाकी की स्कूल प्रबंधन अपने पास ही रख लेता है जोकि सरासर नाजायज है। ऐसेे वक्त में डॉक्टर असगर समून का यह ट्वीट एक बहुत ही महत्वपूर्ण ट्वीट है जिसमे प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों और उनके पेरेंट्स के लिए एक खुशी की लहर दौड़ गई है और जिस प्रकार से डॉक्टर असगर समून ने पेरेंट्स और स्कूल वालों के विचार भी आमंत्रित किए हैं उनसे मिल बैठकर जब एक अच्छे निष्कर्ष पर पहुंचा जाएगा तो यह निश्चित ही प्राइवेट स्कूल वालों के लिए और बच्चों केेे पेरेंट्स दोनों बहुत ही अच्छा डिसीजन होग क्योंकि गवर्नमेंट स्कूलों के साथ प्राइवेट स्कूलों ने भी शिक्षा के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है ऐसे में सभी स्कूल चलते रहें इसी में सभी की भलाई है और आपसी सामंजस्य के साथ जो निर्णय लिया जाए जिसमें बच्चों के पेरेंट्स के अलावा स्कूल प्रबंधन और शिक्षा अधिकारी सभी शामिल हो वही निर्णय कोविड-19 के इस बुरे दौर में बच्चोंं के भविष्य को सुरक्षित बना सकता है ।
Tuesday, September 8, 2020
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MHA advisory on secure use of ZOOM Meeting Platform |
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