डिस्ट्रिक्ट डैवलपमैंट काउंसिल चुनाव नजदीक आते ही सुंब रोड को लेकर राजनीति फिर गरमा गई है। सांबा से सुंब से डाबी तक की रोड जो सांबा से सुंब तक 14 किलोमीटर और गौरन तक 21 किलोमीटर है कई दशकों से इसका निर्माण चल रहा है जो आज तक पूरा नहीं हो पाया है। वह आज से कई दशकों पहले इसकी आवाज उठी थी लेकिन इतना समय गुजर जाने के बाद भी सांबा से सुंब तक की रोड का निर्माण कार्य नहीं हो पाया। सबसे बड़ी समस्या इस रोड में पढ़ते-पढ़ते कोई 7-8 नालों की थी, उनको पाटे बिना, उनके ऊपर पुलिया बने बिना रोड पूरी नहीं हो सकती। जब बीजेपी की सरकार आई तो बडे जोशोखरोश के साथ सांबा से सुंब तक की रोड का निर्माण कार्य शुरू करवाया पर इतनी देर गुजर जाने के बाद भी रोड का थोड़ा भी काम पूरा नहीं हो पाया है, इसलिए बरसात के दिनों में रोड पूरी तरह से कहीं तालाब और कहीं दलदल का रूप ले लेती है खासकर पलाई ढक्की के पास। अब जबकि डिस्टिक डैवलपमैंट कोउंसिल के चुनाव आ रहे हैं तो कुछ सामाजिक कार्यकर्तायों पंचो और वहां के लोगों ने मिलकर सुंब कि इस मेन रोड को एक मुद्दा बना लिया है कि जब तक इस रोड पर काम शुरू नहीं हो जाता यह रोड कंप्लीट नहीं हो जाती तब तक डीडीसी चुनाव का बहिष्कार करेंगे और वोट नहीं डालेंगे। एक तरफ से आपकी आपको उनकी आवाज सही लगती है क्योंकि इतने दशक गुजर जाने के बाद भी अगर यहां पर रोड नहीं बन पाई तो यह किसकी नालाइकी है। सरकारें यहां पर क्या कर रही थी पर अगर राजनीति की बात करें तो अभी पीछे बीडीसी की इलैक्शन भी हुई थी लेकिन तब इस तरह की कोई आवाज सामने नहीं आई थी। लेकिन अगर अब डीडीसी इलेक्शन में यह आवाज उठी है उसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पार्टी की तरफ से टिकट ना मिलना, प्रतिनिधित्व की कमजोरी आदि। लेकिन यह मुद्दा अब काफी गरमा गया है और वहां के लोग इस मुद्दे को लेकर भूख हड़ताल तक का आयोजन भी कर रहे हैं जिनको कुछ संगठन समर्थन भी दे रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ी समस्या जो चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं उन लोगों के लिए बन गई है जैसे कि एक पार्टी ने यहां से पंचायत के पूर्व सरपंच का नाम संभावित कैंडिडेट के तौर पर उबर रहा है तो इसी तरह से और भी सरपंच भी इस इलेक्शन को लड़ने के इच्छुक हैं। इन लोगों के साथ कुछ नए युवा चेहरे और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस चुनाव में हिस्सा ले सकते हैं। लोगों की बातों से साफ जाहिर होता है कि जो रोड है यह सब के लोगों की लाइफ लाइन है। उनकी जिंदगी का एक हिस्सा है इसलिए कोई भी यह बात नहीं कह सकता कि यह रोड नहीं बननी चाहिए। सभी पार्टी की यह डिमांड है कि रोड बननी चाहिए। सनद रहे कि पूरे जम्मू कश्मीर हिमाचल और पंजाब प्रसिद्ध बाबा गोरन देवस्थान भी इसी रोड पर है यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और हर साल वहां पर एक विशाल दंगल का आयोजन होता है जिसमें नामी गिरामी पहलवान पूरे देश से हिस्सा लेते हैं। रोड ना होने से अभी तक यह स्थान टूरिज्म मैप पर नहीं आ पाया है क्योंकि इतनी टूटी फूटी सड़क से वहां पहुंचने में 1 घंटे से भी ज्यादा समय लगता है जबकि सांबा से विजयपुर का सफर है वह 10 किलोमीटर मात्र 10 मिनट में ही हो जाता है। अब रही बात डीडीसी के चुनाव की तो जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं जिनको पार्टी के लिए टिकट मिल रही है तो उनके लिए यह आगे कुआं पीछे खाई वाली बात हो जाती है क्योंकि ना तो वह खुलकर यह कह सकते हैं कि यह लोग बाकी लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं और यह सब चुनावी राजनीति है, रोड के मुद्दे पर चुनाव का बहिष्कार ठीक नहीं है। और ना ही वह यह बोल सकते हैं कि हमें रोड चाहिए हम रोड के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ेंगे। क्योंकि लोग उनको यह भी पूछ सकते हैं अगर आप तो रोड के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ना चाहते हैं तो अभी तक रोड क्यों नहीं बन नहीं पाई है तो फिर बहिष्कार क्यों नहीं करते इस चुनाव का। इस तरह यह उनके लिए आगे कुआं पीछे खाई बड़ी बात ही साबित हो रही है।
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