जम्मू वासियों की तरफ से अक्सर ही डिस्क्रिमिनेशन/ भेदभाव का मुद्दा उठता ही रहता है अक्सर बात यह होती है कि हर किसी मसले में चाहे वह नौकरियों का मसला हो फंड्स का मसला हो या और कोई विकास का मसला हो जम्मू किते खींचते खेते के साथ भेदभाव किया जाता है अभी पिछले ही दिनों हमने यह देखा था कि जो राज्यपाल महोदय ने जो पैसा J&K रिलीफ के तौर पर कोविड-19 समय में बांटा था यह पैसा जो कि खच्चर वालों, पिट्ठू वालों और टूरिस्ट गाइड के लिए था। इस पूरे 3 करोड के लोगों की राशि में जम्मू वालों के ही तो खाते में सिर्फ एक लाख 68 हजार के लगभग पैसा आया थ। अब दूसरा नवीनतम उदाहरण हमें देखने को मिला है कोविड-19 अस्पताल जम्मू में जो कि डीआरडीओ के साथ मिलकर बन रहा है, में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जम्मू और एसोसिएटेड हॉस्पिटल की तरफ से ये एडवर्टाइजमेंट निकली है में यह साफ तौर पर लिखा है उसमें j&k यूनियन टेरिटरी का कोई भी व्यक्ति, जिसके पास जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी का डोमिसाइल सर्टिफिकेट हो, उसमें अप्लाई कर सकता है। और ऐसा ही जो 500 बेड की केपेसिटी बाला कोविड-19 श्रीनगर में बन रहा है, वहां उन्होंने लिखा है कि सिर्फ कश्मीर का रहने वाला व्यक्ति ही इसमें आवेदन कर सकता है। तो एक ही यूनियन टेरिटरी में जो अलग-अलग तरह के कायदे कानून यह सिद्ध करते हैं कि जम्मू वालों के साथ भेदभाव अभी भी जारी है। अगर जम्मू में कोविड-19 अस्पताल बन रहा है तो उसमें कोई भी अप्लाई कर सकता है अगर ऐसा ही अस्पताल श्रीनगर में बन रहा है तो उसमें सिर्फ श्रीनगर कश्मीर डिवीजन का व्यक्ति ही आवेदन कर सकता है। तो यह भेदभाव का यह ताजातरीन उदाहरण इस वक्त सोशल मीडिया में चर्चा में है हम राज्यपाल महोदय से यही विनती करना चाहेंगे कि जम्मू वासियों के साथ जो भी भेदभाव पिछले कई दशकों के साथ होता आया है उसको अब खत्म होना चाहिए। जम्मू वासियों को अब एक यह महसूस होना चाहिए कि राज्यपाल महोदय के होते हुए वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उनके हक इस गवर्मेंट के होते बिल्कुल सुरक्षित हैं जहां कोई यह भी बात कर सकता है कि जम्मू में जो वैकेंसी निकली है वह ज्यादा है लेकिन बात सिर्फ वैकेंसीज कि नहीं, वैकेंसी चाहे एक हो दो हो चाहे 20 हो। बात है कि अगर जम्मू डिवीजन में एक अस्पताल बनता है तो उसमें यही होना चाहिए कि उसमें जम्मू डिवीजन का ही व्यक्ति उसमें आवेदन कर सकता है और अगर कश्मीर के लिए निकलता है तो उसमें कश्मीर का ही आवेदन कर सकता है। या दोनों में यह पैमाना होना चाहिए कि जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी का कोई भी व्यक्ति इन दोनों अस्पतालों में आवेदन कर सकता है।
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Sunday, May 23, 2021
आखिर कब खत्म होगा जम्मू से भेदभाव???
जम्मू वासियों की तरफ से अक्सर ही डिस्क्रिमिनेशन/ भेदभाव का मुद्दा उठता ही रहता है अक्सर बात यह होती है कि हर किसी मसले में चाहे वह नौकरियों का मसला हो फंड्स का मसला हो या और कोई विकास का मसला हो जम्मू किते खींचते खेते के साथ भेदभाव किया जाता है अभी पिछले ही दिनों हमने यह देखा था कि जो राज्यपाल महोदय ने जो पैसा J&K रिलीफ के तौर पर कोविड-19 समय में बांटा था यह पैसा जो कि खच्चर वालों, पिट्ठू वालों और टूरिस्ट गाइड के लिए था। इस पूरे 3 करोड के लोगों की राशि में जम्मू वालों के ही तो खाते में सिर्फ एक लाख 68 हजार के लगभग पैसा आया थ। अब दूसरा नवीनतम उदाहरण हमें देखने को मिला है कोविड-19 अस्पताल जम्मू में जो कि डीआरडीओ के साथ मिलकर बन रहा है, में नौकरियों के लिए आवेदन करने के लिए। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जम्मू और एसोसिएटेड हॉस्पिटल की तरफ से ये एडवर्टाइजमेंट निकली है में यह साफ तौर पर लिखा है उसमें j&k यूनियन टेरिटरी का कोई भी व्यक्ति, जिसके पास जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी का डोमिसाइल सर्टिफिकेट हो, उसमें अप्लाई कर सकता है। और ऐसा ही जो 500 बेड की केपेसिटी बाला कोविड-19 श्रीनगर में बन रहा है, वहां उन्होंने लिखा है कि सिर्फ कश्मीर का रहने वाला व्यक्ति ही इसमें आवेदन कर सकता है। तो एक ही यूनियन टेरिटरी में जो अलग-अलग तरह के कायदे कानून यह सिद्ध करते हैं कि जम्मू वालों के साथ भेदभाव अभी भी जारी है। अगर जम्मू में कोविड-19 अस्पताल बन रहा है तो उसमें कोई भी अप्लाई कर सकता है अगर ऐसा ही अस्पताल श्रीनगर में बन रहा है तो उसमें सिर्फ श्रीनगर कश्मीर डिवीजन का व्यक्ति ही आवेदन कर सकता है। तो यह भेदभाव का यह ताजातरीन उदाहरण इस वक्त सोशल मीडिया में चर्चा में है हम राज्यपाल महोदय से यही विनती करना चाहेंगे कि जम्मू वासियों के साथ जो भी भेदभाव पिछले कई दशकों के साथ होता आया है उसको अब खत्म होना चाहिए। जम्मू वासियों को अब एक यह महसूस होना चाहिए कि राज्यपाल महोदय के होते हुए वह पूरी तरह से सुरक्षित हैं। उनके हक इस गवर्मेंट के होते बिल्कुल सुरक्षित हैं जहां कोई यह भी बात कर सकता है कि जम्मू में जो वैकेंसी निकली है वह ज्यादा है लेकिन बात सिर्फ वैकेंसीज कि नहीं, वैकेंसी चाहे एक हो दो हो चाहे 20 हो। बात है कि अगर जम्मू डिवीजन में एक अस्पताल बनता है तो उसमें यही होना चाहिए कि उसमें जम्मू डिवीजन का ही व्यक्ति उसमें आवेदन कर सकता है और अगर कश्मीर के लिए निकलता है तो उसमें कश्मीर का ही आवेदन कर सकता है। या दोनों में यह पैमाना होना चाहिए कि जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी का कोई भी व्यक्ति इन दोनों अस्पतालों में आवेदन कर सकता है।
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