कल ही खालिस्तानी भगोड़े अमृतपाल का जिसका पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां तलाश कर रही है उसका एक वीडियो सामने आया जिसमें उसने कहा कि वह पंजाब पुलिस के घेरे से निकल भागा है और चढ़दी कला में है। उसने कहा कि उसका कोई बाल बांका भी नहीं कर सकता। हालांकि उसने कहा कि वह पहले भी ना डरा है ना उसको अब डर है। लेकिन जिन लोगों ने भी यह वीडियो देखा है या देखेंगे, तो एक बात तो निश्चित तौर पर सामने आ रही है कि डर उसके चेहरे से ही झलक रहा था। उसकी बॉडी लैंग्वेज ही बता रही थी कि मैं कितना डरा हुआ है। हालांकि उसने बड़ी बड़ी बातें की, सिखों को लेकर, धर्म को लेकर लेकिन जो उसका अंदरूनी डर था उसके चेहरे से ही झलक रहा था। कहते हैं कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं और कानून से कोई बच नहीं सकता। अगर कोई व्यक्ति सही राह पर चल रहा है तो उसको भागने की जरूरत ही नहीं है। सही राह पर चलने वाला अपना वक्तव्य अपने मिशन को लेकर भागेगा क्यों। उसने वहीं रुक कर अपनी बात लोगों के सामने ही रखनी चाहिए। भागता वही इंसान है जो कहीं ना कहीं यह जानता है कि वह गलत है उसके अंदर एक चोर है। यही बात उसको भागने पर विवश करती है। सिख कौम जो अपने बलिदान और शहादत के लिए मशहूर रही है और जिन गुरुओं ने कौन को बचाने के लिए और इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए कुर्बानियां दी। गुरु तेग बहादुर द्वारा दी हुई कुर्बानी, चार साहिब जादों का बलिदान। कौन इन चीजों को भूल सकता है। उसी सिख कौम को बदनाम करने के लिए यह पाकिस्तान और आईएसआई की साजिश कभी भी कामयाब नहीं होगी और सिख कौम पूरे भारतवर्ष में उसी ढंग और उसी प्यार से रहेगी जैसे वह पहले से ही रहते आए हैं।
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