Friday, July 31, 2020

History of struggle for District Samba Part 1: Creation of three Distt in Kashmir



It was the year 1979 when chief minister Sheikh Abdullah with when with one stroke of pen created three districts in Kashmir and left Jammu behind with the establishment of Retired Justice Jankinath Wazir Commission who has to find about the possibilities of the creation of new districts  in the Jammu region. This created hue and cry in the Jammu region and the thinkers of that time pondered about the development. As chief minister Sheikh Abdullah had got a rousing reception in 1975 in Samba district particularly in Samba so the intellectual of those times under the leadership of advocate Sukhdev Singh met with Chief Minister Sheikh Abdullah for the creation of Samba as a district. It is pertinent to mention that late Mr Bhupendra Singh salathia Sr Advocate & Ex President Bar Association Jammu was also the part of this delegation. Mr Sheikh Abdullaha satisfied the delegation that retired justice Janki Nath Wazir commission is to find the probability of creations of new district in Jammu region and he assured Samba will get the district status. Soon verbal meetings and awareness campaigns started in Samba in which every nook and corner of District Samba is traversed by the team. As late DD Thakur was the cabinet minister at that time the delegation also met with DD Thakur who also came in 1976 in Samba in which road to kehli Mandi was announced the Numberdar Janamejay  Singh of Mandi kelhi advocate Sukhdev Singh Sambyal Subedar Nanak  Singh and other prominent personalities of the Samba also gave a rousing reception to DD Thakur who
advised the intellectual that there should be a committee who has to deal with all the affairs regarding District Samba. As the Wazir Commission report bypassed Distt Samba claims and instead projected Bahu Distt. So the preparation of a long drawn battle started.

To be Continued....

यह वर्ष 1977 था जब मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने कलम के एक झटके के साथ कश्मीर में तीन जिलों का निर्माण किया और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जानकीनाथ वजीर आयोग की स्थापना के साथ जम्मू को पीछे छोड़ दिया, जिन्हें जम्मू क्षेत्र मे नए जिलों के निर्माण की संभावनाओं के बारे में पता लगाना था।  इससे जम्मू क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल पैदा हो गया पैदा हो गया और उस समय के बुद्धिजीवियों ने इसकेे बारे में विचार किया।  बतौर मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला का 1975 में सांबा जिले में विशेष रूप से सांबा में जोरदार स्वागत हुआ था, इसलिए अधिवक्ता सुखदेव सिंह के नेतृत्व में उस समय के बुद्धिजीवियों ने मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला से सांबा को जिला बनाने के लिए मुलाकात की।  यह उल्लेख करना उचित है कि स्वर्गीय श्री भूपेंद्र सिंह सलाथिया सीनियर एडवोकेट और एक्स प्रेसिडेंट बार एसोसिएशन जम्मू भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे।  श्री शेख अब्दुल्ला ने प्रतिनिधिमंडल को संतुष्ट किया कि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जानकी नाथ वज़ीर आयोग को जम्मू क्षेत्र में नए जिले की रचनाओं की संभावना तलाशनी है और उन्होंने आश्वासन दिया कि सांबा को जिला का दर्जा मिलेगा।  जल्द ही सांबा में मौखिक बैठकें और जागरूकता अभियान शुरू हुए, जिसमें जो आज का जिला सांबा उसकेेे के हर नुक्कड़ और कोने  मैं बैठकर की गई लोगों में जागरूकता अभियान चलाया गया। स्वर्गीय डीडी ठाकुर उस समय कैबिनेट मंत्री थे, उस समय डीडी ठाकुर के साथ शिष्टमंडल मिला और उन्हें सांबा आने का न्यौता दिया गया या जो 1976 में सांबा भी आए थे, जिसमें केहली मंडी के गणमान्यय लोगों जैसे कि नंबरदार जन्मेजय सिंह सूबेदार नानक सिंह और खुद सुखदेव सिंह संभ्याल एडवोकेट ने डीडी ठाकुर से मुलाकात की जिसमें  ठाकुर साहब ने केेेहली मंडी के लिए सड़क की घोषणा की।  ठाकुर साहब ने बुद्धिजीवियोंंंं को सलाह दी कि एक समिति होनी चाहिए जिसे जिला सांबा के संबंध में सभी मामलों से निपटना पड़े।  जैसा कि वजीर आयोग की रिपोर्ट ने डिस्टक सांबा के दावों को दरकिनार कर दिया और इसके बजाय बाहू जिला का अनुमान लगाया।  इसलिए  संभाग के बुद्धिजीवी एक लंबी जंग की तैयारी मे मशगूल हो गए।

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