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Monday, June 28, 2021

आंतकवादियों की बदलती रणनीति और ड्रोन जैसे डिवाइस


 कल ही जम्मू में एक आंतकवादी का पकड़ा जाना और उससे 5 किलो की आईडी का बरामद होना इसके अलावा जम्मू एयरपोर्ट पर दो विस्फोट होना, इन सब चीजों ने एकदम से जम्मू के लोगों को हैरत और डर के माहौल में डाल दिया है। प्रधानमंत्री मोदी जी की सर्वदलीय बैठक के बाद जिसमें जम्मू कश्मीर के 14 दलों ने हिस्सा लिया था पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ गई है और उनकी हर कोशिश है कि किस तरह से एक खुशगवार माहौल जो जम्मू कश्मीर में बन रहा है उसको इस तरह से एकदम बदला जाए कि लोगों में से से दहशतगर्दी का डर जो है वह अंदर तक बैठ जाए। आईडीके मिलने और दो विस्फोटों के बाद जम्मू-कश्मीर के डीजीपी श्री दिलबाग सिंह जी द्वारा यह बयान देना कि इन विस्फोटों में जो कि एक लो इंटेंसिटी विस्फोट हैं, इसमें पेलोड को लाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है यह हमें दिखाता है कि किस तरह से आंतकवादी अब अपनी टैक्टिक्स गतिविधियो को बदल रहे हैं। बॉर्डर पर बढ़ती हुई विजिलेंस और इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अब इन लोगों की वहां से हथियार एक्सपोर्ट करने की जो कोशिश है उस पर अंकुश लगा दिया है तो अब उनका इस तरह की टैक्टिक्स पर ज्यादा ध्यान दिया है कि तरह से उससे लोगों में एक डर का माहौल पैदा किया जाए। ड्रोन एक छोटा डिवाइस है और वह ज्यादा बढ़ा पेलोड जब या बड़ी इंटेंसिटी का पेलोड नहीं लेकर जा सकता। जैसा कि हमने जम्मू एयरपोर्ट में देखा वहां यह दो विस्फोट हुए, उनमें से एक टेक्निकल एरिया में हुआ और दूसरा खुले क्षेत्र में हुआ और इनमें कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन ड्रोन जैसे डिवाइस से, जो कि एक बहुत ही नीची उड़ान भरता है और रडार की पकड़ में नहीं आ सकता हालांकि ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया जा सकता, लेकिन एक डर का माहौल जरूर बन जाता है। तो इससे हमें यह भी एक समझ मिलती है कि अब जम्मू कश्मीर में मिलिटेंसी का तकरीबन सफाया होने के बाद अब आंतकवादी किस तरह से अपनी टैक्टिक्स को बदल रहे हैं। जो भी हो अब हमारी सुरक्षा एजेंसियों को नए तौर-तरीके अपनाने होंगे जिससे ड्रोन जैसे डिवाइस हैं इनसे कोई बड़ी हानि ना हो सके। जैसे कि अगर यह विस्फोट एयरपोर्ट पर खड़े किसी विमान के ऊपर होता तो काफी जानी माल का नुकसान हो सकता था। हालांकि अगर     ड्रोन को रिमोट से कंट्रोल किया जाए तो उसकी जो रेंज है वह बहुत कम होती है और अगर उसको ज्यादा दूर भेजना हो तो उसमें इन जीपीएस के कोऑर्डिनेटस सेट किए जाते हैं तो वहां जाकर वह अपना काम कर सकता है। इससे अब सुरक्षा एजेंसियों को यह भी समझ लेना चाहिए कि जो हमारी महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशंस हैं, जम्मू एयरपोर्ट या सेना के महत्वपूर्ण ठिकाने, उनमें जीपीएस जैमर लगाए जाएं जिससे यह ड्रोन वहां पर पहुंची ना सके। इसके अलावा और भी भारत सरकार को बड़े लेवल पर काम करते हुए और कदम उठाने चाहिए कि यह ड्रोन इस तरह के काम करने में सक्षम ही ना हो, उनकी प्रोग्रामिंग भी इस तरह से हो कि वह महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशन तक ना जा सके। इसलिए अगर भारत सरकार इसके बारे में बड़े कदम नहीं उठाती है तो निश्चित ही आने वाले समय में ड्रोन  जैसे डिवाइस का फायदा उठाकर आंतकवादी किसी बड़े कारनामे को अंजाम देने में कामयाब हो सकते हैं।