SOCIO-Economic-Considerations.
Riding astride the national highway, the proposed District of samba forms an arid area with scanty rain fall and no means of irrigation. Towards the north of the National Highway arise small hills and towards south extend the plains. The soil does not offer easy means of livelihood and the people have to work hard to snatch a meager subsistance from the land, supplemented by other means of livelihood. Besides, nearly half of the population belongs to scheduled and other backwards classes, who have suffered from centuries of oppression and neglect and whose aspiration have been aroused by the constitutional gurantee of favoured treatment.
But unfortunately they bave received a raw deal from successive administrations, who have paid all the attention to the urban elite Besides there is a big chunk of refugees settled in this area. The main profession of the rural population is Subsistence level agriculture and casual labour in addition to service in the Armed Forces, A small percentage, which is educated, seeks employment in Govt. services Most of the population lives below the poverty line, and the Govt. is committed to raise their standard of living. The hopes advanced by twenty-point programme in their cases have proved illusory. The sine-qua-non of the modern concept of administration is
'Its duty to carry the administration to the door step of the poorest of the poor to enable them to garner some of the fruits of development'
It is in this context that the viability of an administrative unit like a dirtrict has to be tested.
To be continued....
सामाजिक-आर्थिक-संबंधी बातें
राष्ट्रीय राजमार्ग पर सवार होकर, सांबा के प्रस्तावित जिले में अच्छी बारिश और सिंचाई का कोई साधन नहीं है। राष्ट्रीय राजमार्ग के उत्तर में छोटी पहाड़ियों और दक्षिण की ओर मैदानों का विस्तार होता है। मिट्टी आजीविका के आसान साधनों की पेशकश नहीं करती है और लोगों को आजीविका के अन्य साधनों के पूरक भूमि से एक मामूली जीवन जीने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा, लगभग आधी आबादी अनुसूचित और अन्य पिछड़े वर्गों की है, जो सदियों से उत्पीड़न और उपेक्षा झेल रहे हैं और जिनकी आकांक्षा संविधान से उत्पन्न होने वाले अच्छे व्यवहार से है।
लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें लगातार प्रशासन से अच्छी डील नहीं मिली, जिस प्रशासन ने अभिजात वर्ग का पूरा ध्यान रखा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में बसे शरणार्थियों का एक बड़ा हिस्सा है। ग्रामीण आबादी का मुख्य पेशा सशस्त्र सेनाओं में सेवा के अलावा सहायक स्तर कृषि और आकस्मिक श्रम है, एक छोटा प्रतिशत, जो शिक्षित है, सरकार में रोजगार चाहता है। अधिकांश जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे रहती हैं। उनके जीवन स्तर को बढ़ाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। उनके मामलों में बीस-सूत्री कार्यक्रम द्वारा उन्नत की गई आशाएँ भ्रामक साबित हुई हैं। प्रशासन की आधुनिक अवधारणा की के अनुसार
'गरीबों में से सबसे गरीब लोगों के दरवाजे तक प्रशासन को ले जाना, उन्हें विकास के कुछ फल देने में सक्षम बनाना'
यह इस संदर्भ में है कि एक प्रशासनिक इकाई की व्यवहार्यता का परीक्षण किया जाता है।
आगे है.......
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