Sunday, June 11, 2023

क्या इतिहास बनकर रह जाएगा जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन (जेकेबोस)???

क्या जम्मू कश्मीर स्टेट की तरह जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन बी एक इतिहास बनकर रह जाएगा, अगर हम 1. 5. 23 को निकाले गए मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया की तरफ से एक लेटर का हवाला दें जोकि प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू द यूनियन टेरिटरीज़ को लिखा गया है, तो निश्चित तौर पर यह बात समझ में आती है कि जम्मू कश्मीर स्टेट की तरह जम्मू कश्मीर बोर्ड का स्कूल एजुकेशन भी एक इतिहास बन कर रह जाएगा। मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया की तरफ से 12. 5. 23 को एक लेटर निकल गया है 

 


जिसमें सभी यूनियन टेरिटरी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को 4. 5. 23 की एक मीटिंग जो की सेक्रेट्री डिपाटर्मेंट आफ एजुकेशन एंड लिटरेसी मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया के चेयरमैनशिप में हुई थी, इसका हवाला देते हुए यह आदेश दिया गया है कि जितने भी स्कूल उनके नीचे काम कर रहे हैं/आते हैं जो की स्टेट बोर्ड के साथ जुड़े हुए हैं, उन सभी की एफीलिएशन स्टेटस (सेंट्रल बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन के साथ) को इंटिमेट किया जाये और एक टाइम लाइन भी निश्चित की जाए कि कब तक यह सारे स्कूल सेंट्रल बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन के साथ एफिलिएट होंगे और इस मैटर को अर्जेंट मैटर ट्रीट किया जाए इसके लिए एक प्रिसक्राइब्ड फॉरमैट भी दिया गया है।

 



  फिर जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी की सरकार की तरफ से एक लेटर 29.5.23 को निकाला जाता है जिसमें गवर्नमेंट आफ इंडिया मिनिस्ट्री ऑफ़ एजूकेशन के डी ओ लेटर का हवाला देते हुए  डायरेक्टर् जम्मू और कश्मीर, जेके बॉस के सेक्रेटरी को, समग्र शिक्षा के निदेशक को यह लेटर फॉरवर्ड किया जाता है इस डायरेक्शन के साथ की उनके नीचे जितने भी स्कूल जो कि जम्मू कश्मीर बोर्ड आप स्कूल एजुकेशन के अंदर काम कर रहे हैं उनकी सीबीएसई एफीलिएशन का क्या स्टेटस है इसको अपडेट किया जाए और जल्द से जल्द इन स्कूलों की सीबीएसई एफीलिएशन कर दी जाए जैसा कि मिनिस्ट्री ऑफ़ एजुकेशन गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया की तरफ से दिए हुए वीडियो लेटर में कहा गया है।

    अब अगर हम इस पूरे मैटर पर गौर करें तो सवाल जो उठना है कि अगर जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी के सभी स्कूलों की एफीलिएशन सेंट्रल बोर्ड का स्कूल एजुकेशन के साथ हो गई तो जेके बॉस का क्या होगा। उसके रहने का  औचित्य भी क्या बचता है। तो इसका मतलब यह निकलता है कि निश्चित तौर पर जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन बंद हो जाएगा। सनद रहे कि जम्मू और कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड (जेके बोस के रूप में संक्षिप्त) जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा का मुख्य बोर्ड है। यह जम्मू और श्रीनगर में स्थित है और जम्मू और कश्मीर सरकार के प्रशासन के तहत एक स्वायत्त निकाय है। बोर्ड राज्य भर में 10200 से अधिक स्कूलों को संबद्धता देता है और 22856 शिक्षकों को रोजगार देता है (साभार विकिपीडिया)। जम्मू और कश्मीर स्कूल शिक्षा बोर्ड की स्थापना जम्मू और कश्मीर राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 1975 के तहत आगा अशरफ अली के साथ इसके पहले अध्यक्ष के रूप में की गई थी। बोर्ड को निर्देश के पाठ्यक्रम निर्दिष्ट करने और उनके लिए पाठ्यक्रम बनाने, और प्राथमिक, और माध्यमिक विद्यालयों और उच्चतर माध्यमिक (स्कूल ग्रेडेशन) स्कूल परीक्षाओं के लिए पाठ्यपुस्तकों का चयन करने का अधिकार है; सार्वजनिक परीक्षा आयोजित करने और माध्यमिक विद्यालय और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर परिणाम प्रकाशित करने के लिए; उन लोगों को डिप्लोमा या प्रमाण पत्र प्रदान करना जिन्होंने इसकी परीक्षाएँ उत्तीर्ण की हैं; माध्यमिक विद्यालय और उच्चतर माध्यमिक स्तरों पर शैक्षिक संस्थानों को मान्यता देना, और मान्यता प्राप्त संस्थानों का निरीक्षण करना, यह सुनिश्चित करना कि आवश्यक सुविधाएं, उपकरण और कर्मचारी मौजूद हैं और केवल अनुमोदित पुस्तकें और पाठ्यक्रम पढ़ाए जाते हैं, और यह कि मानकों के अनुरूप हैं प्रासंगिक नियमों के साथ; उचित शर्तों को पूरा नहीं करने वाले स्कूलों से मान्यता हटाने के लिए; मान्यता प्राप्त संस्थानों का पर्यवेक्षण और नियंत्रण करना; और कानून द्वारा दी गई विभिन्न अन्य शक्तियों का प्रयोग करने की शक्ति दी गई है।

अब सबसे बड़ा सवाल उठता है कि जब कश्मीर बोर्ड का स्कूल एजुकेशन जो की एक बहुत बड़ी स्वायत्त निकाय है और इसमें इतने मुलाजिम काम कर रहे हैं उनका क्या होगा उनकी रोजी-रोटी के भविष्य का क्या होगा। सनद रहे की अभी तक जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी के सभी गवर्नमेंट स्कूल और कुछ हद तक सब प्राइवेट स्कूल भी जम्मू कश्मीर बॉर्डर का स्कूल एजुकेशन के साथ ही एफिलिएटिड हैं। निश्चित तौर पर अगर ये स्कूल सीबीएसई के साथ एफिलिएटिड होते हैं तो जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ स्कूल एजुकेशन का बंद होना निश्चित तौर पर तय है।

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