जिला संभाग के ब्लॉक सुंब के पहाड़ी गांव हंड्रेड की एक महिला दीक्षा देवी वाइफ ऑफ़ राजेंद्र सिंह जो की गर्भवती थी कल अचानक से बीमार हो गई जिसको हंड्रेड से गवर्नमेंट अस्पताल सुंब में लाया गया लेकिन जैसा कि आप सभी जानते हैं कि गांव हंड्रेड से लेकर सुंब ब्लॉक तक आने के लिए कोई रास्ता मोटर चालक रास्ता नहीं है और यह सारा रास्ता जो है यह उबड़ खाबड़ है जिसमें दो पहाड़ चढ़ने उतरने पड़ते हैं। रास्ता इतना खराब है कि यहां पर आने जाने का कोई साधन नहीं है सिर्फ घोड़े और खच्चर से ही वंहा जाया जा सकता है। उस गर्भवती महिला की नाजुक स्थिति को देखते हुए गांव के पंच भाग सिंह ने वहां के कुछ लड़कों को साथ लेकर गर्भवती महिला को पालकी में डाला और उसको किसी तरह से हॉस्पिटल में पहुंचाया। वहां से लेकर अस्पताल की दूरी 10 किलोमीटर है। उनके पंच ने यह बताया कि आजादी को हालांकि 73 साल हो गए हैं लेकिन अभी तक जीड हंड्रेड के जो लोग हैं यह लोग पालकी घोड़े और खच्चरों पर ही निर्भर है प्रधानमंत्री ग्रामीण योजनाओं में जगह-जगह लोगों के लिए सडक़ें बनी लेकिन इस गांव में आने के लिए अभी तक कोई सड़क नहीं बनाई गई जिस पर कोई वाहन चलाया जा सके। पहले भी हमने आपको बताया था कि प्यूर गांव की ओर की एक गर्भवती महिला को किस तरीके से हॉस्पिटल में पहुंचाया गया। यह सारी बेल्ट जो है जो दरिया बसंतर के दूसरी तरफ पढ़ती है इस सारी बेल्ट की यही कहानी है। वहां के पंच ने बताया कि बहुत बार इस रोड के लिए सर्वे हुए लेकिन अभी तक किया कुछ नहीं किया जिससे यहां पर जो लोग हैं उनको बड़ी परेशानी होती है। कहीं कोई स्नेक बाइट हो जाए या कोई और पराब्लम, यह दिन का वक्त है अगर रात का वक्त होता तो वहां उन्होंने अस्पताल तक पहुंचना था। ऐसे बहुत सारे केसों में पहले भी बहुत सारी घटनाओं में गर्भवती महिला रास्ते में ही दम तोड़ चुकी हैं।इसलिए गांव के पंच प्रशासन से गुहार लगाते हैं कि कृपया जल्द से जल्द इस रोड को बनाया जाए जिससे यहां के लोगों को अस्पताल तक पहुंचने की में कोई असुविधा ना हो
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