किसी समय जम्मू क्षेत्र की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी पैंथर्स पार्टी जिसके मुफ्ती मोहम्मद सरकार (सांझी सरकार) में 2 मंत्री थे और चार एमएलए थे, क्या उसका अंत निश्चित है, लगता तो ऐसा ही है। पार्टी किसी समय पर प्रोफेसर भीम सिंह की देखरेख में यह की जम्मू क्षेत्र की सबसे बड़ी पार्टी थी। जम्मू के लोगों की हितों की बात करने वाली जी पार्टी 2002 इलेक्शन में यह जम्मू की क्षेत्रीय पार्टी के रूप में उभरी थी। 2002 के जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनावों में, पैंथर्स पार्टी ने 87 सीटों में से 36 सीटों पर उम्मीदवारों को खड़ा किया, उन्होंने सभी सीटों पर कुल 101,830 वोट (7.24%) हासिल किए। पार्टी ने चार निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की, जिसमें उधमपुर जिले की सभी तीन सीटें शामिल थीं।
उधमपुर को बलवंत सिंह ने 24,679 मतों (40.39%) से जीता था। चेनानी को एसएच फकीर नाथ ने 17,118 वोट (37.42%) और रामनगर को हर्ष देव सिंह ने 29,914 वोट (50.40%) से जीता था। यश पॉल कुंडल ने सांबा में 11,079 मतों (25.31%) से जीत हासिल की थी
हर्ष देव सिंह ने गठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया। यश पॉल पशु और भेड़ पालन मंत्री बने। पैंथर्स पार्टी के नेता, भीम सिंह जम्मू और कश्मीर विधान परिषद के सदस्य बने। (77) 2007 में, भीम सिंह ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया। लेकिन बाद में अंदरूनी फूट के चलते पार्टी विवादों में गिर गई और सबसे पहले बलवंत सिंह मनकोटिया जी ने जो पार्टी का नेतृत्व भी करते थे और उधमपुर से एमएलए रह चुके थे उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और इस्तीफे के वक्त भी उन्होंने पार्टी के कुछ अंदरूनी मसले बताए। हर्ष देव सिंह जी के साथ उनके मतभेद जगजाहिर थे। फिर कुछ समय से हर्ष देव सिंह जी और प्रोफेसर भीम सिंह के साथ मतभेद थे वह भी सामने आ रहे थे और इसके बारे में उस वक्त तस्वीर साफ हो गई जब प्रोफेसर भीम सिंह जी ने उनके खिलाफ एक शिकायत पत्र एसएसपी जम्मू को लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि प्रोफेसर हर्ष देव सिंह और उनके साथी द्वारा उनको लगातार धमकाया जा रहा है और देश के कानून के अनुसार उन पर एक्शन लिया जाए। और अब उसी सिलसिले में आज हर्ष देव सिंह जी ने प्रोफेसर भीम सिंह जी को एक प्रेस कांफ्रेस में उनके पांव पकड़ लिए और उनसे कहा कि वह पैंथर्स पार्टी को बचा ले इसमें उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने देश के लिए कुर्बानियां दी हैं और प्रोफेसर साहब पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि पैंथर्स पार्टी के कुछ कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल हो गए और कुछ आप में शामिल होने जा रहे हैं यह सब प्रोफेसर साहब की वजह से है। इसमें वह इस हद तक इमोशनल हो गए कि वह रो पड़े। जो भी हो इन सब बातों से यह तो लगता ही है कि पैंथर्स पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं है उनमें आरोपों प्रत्यारोपों का दौर जारी है। कौन गलत है कौन सही है यह कहना मुश्किल है मगर पार्टी का इस तरह से टूटना निसंदेह दुखद है। और उससे कुछ दिनों पहले सांबा डिस्टिक की पैंथर्स पार्टी की पूरी की पूरी इकाई ने इस्तीफा दे दिया था और उसके पीछे उन्होंने पार्टी के अंदरूनी कामकाज को लेकर सवाल उठाए थे और कार्यकर्ताओं को इज्जत ना मिलने की बात कही थी। लेकिन इतना निश्चित है कि पैंथर्स पार्टी किसी वक्त जम्मू क्षेत्र की सबसे बड़ी पार्टी थी और जम्मू क्षेत्र को प्रतिनिधित्व करती थी उसका अंत होना तय है। और अगर ऐसा होता है तो यह निश्चित ही एक बहुत ही दुखद घटना होगी क्योंकि ये जम्मू क्षेत्र के लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करती थी और उनकी आवाज का प्रतीक थी।
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