जम्मू-कश्मीर के एलजी के सलाहकार फारूक खान ने रविवार शाम को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण राजनीतिक कार्यभार संभालने के लिए गृह मंत्रालय को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। सूत्रों के मुताबिक खान ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ चर्चा के बाद अपना इस्तीफा सौंपा है। अब सवाल ये उठता है की खान की क्या राजनीतिक भूमिका हो सकती है। दरअसल जम्मू कश्मीर में भाजपा के पास कोई ऐसा चर्चित मुस्लिम चेहरा नहीं है जिससे वह मुस्लिम मुसलमान वोटरों को लुभा सके। फारुक खान का परिवार एक नेशनललिस्ट परिवार है और फिर उखाड़ने खुद चाहे पहले वह जब पुलिस में थे या उसके बाद उन्हें खूब नाम कमाया है। अब भाजपा का जम्मू कश्मीर में जो 50 प्लस का सपना है वह तभी पूरा हो सकता है जब मुसलमान वोटर खासकर डोडा किश्तवाड़ की तरफ से जो बेल्ट है जिसको हम चिनाव वैली बेल्ट बोलते हैं वहां का वोट भी उसको मिल सके। तो खान में उनको एक ऐसा चेहरा दिखता है जो आने वाले समय में इस समस्या से उनको निजात दिला सकता है। अगर फारूक खान के सहारे वह मुस्लिमों का वोट भी भुना पाए तो निश्चित तौर पर जम्मू-कश्मीर में भाजपा की सरकार बन सकती है और उनका 50 प्लस का सपना भी पूरा हो सकता है। पहले भी भाजपा ने बड़ा जोड़-तोड़ करते हुए नेशनल कान्फ्रेंस के दो बड़े नेताओं को अपनी तरफ खींच लिया था और इसके पीछे भी उनकी यही मंशा थी कि ज्यादा से ज्यादा एमएलए उनके विधानसभा में हूं ताकि कोई सांझीं सरकार ना बने और वह खुद अपनी सरकार बना सकें। अब इस नए घटनाक्रम में फारुख खान इस्तीफ़ा देना और उनको राजनीतिक भूमिका मिलने की संभावना, इसमें भाजपा की मंशा यही है कि किसी तरीके से मुसलमान वोटरों को लुभा सके और उनको अपनी तरफ खींच सकें अगर भाजपा अपनी इस कोशिश में कामयाब हो जाती है तो निश्चित तौर पर जय उनकी एक बहुत बड़ी कूटनीतिक चाल होगी जिससे वह जम्मू-कश्मीर राज करने का अपना सपनापूरा कर सकेंगे
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