पिछले कई दिनों से हम देख रहे हैं कि करोना से हमारी J&K यूनियन टेरिटरी में काफी लोगों की मौतें हो रही हैं। पिछले कल भी जम्मू कश्मीर में एक बड़ा ही खौफनाक दिन था। जम्मू कश्मीर में 60 लोग करोना की भेंट चढ़ गए इनमें से 16 लोगों की मौत गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जम्मू में हुई। सबसे बड़ी बात यह है ज्यादातर मामलों में पीछे का एक बड़ा कारण जो सामने आ रहा है वह यह है कि इनमें से कुछ लोग उस वक्त अस्पताल में पहुंचे। जब कि डॉक्टरों के पास उनको उनको बचाने के लिए कुछ नहीं था। कहने का मतलब यह है कि उस समय अस्पताल में आए जबकि करोना उनके शरीर में पूरी तरह से फैल चुका था और उनके लंगस् तकरीबन जवाब दे चुके थे। इस बात को लेकर उनके साथ आए अटेंडेंस की डॉक्टरों के साथ वहां पर मारपीट भी हुई और डॉक्टरों की तरफ से इसमें पुलिस स्टेशन एक रिपोर्ट भी की गई। अब सबसे बड़ी बात जो सामने आती है कि ऐसा क्या है कि लोग जब बिल्कुल ही करोना के सामने घुटने टेक जाते हैं उस वक्त अस्पताल में जाते जब उनकी जिंदगी को बचाना असंभव सा होता है। हम हमेशा देखते हैं कि बार-बार प्रशासन द्वारा यह अपील करने के बावजूद भी अगर किसी को करोना हुआ है और ऑक्सीजन लेवल ड्रॉप हो रहा है तो उसको फौरन अस्पताल पहुंचना चाहिए। लेकिन अक्सर देखने में भी आता है कि लोग अस्पताल उस वक्त पहुंचते हैं जब उनका अक्सीजन लेवल बिल्कुल ही ड्रॉप हो जाता है और हालात काबू से बाहर हो जाते हैं। उस वक्त डॉक्टरों का उनको बचाना असंभव ही होता है और ऊपर से डॉक्टरों के साथ उनका बहस करना और लड़ाई करना। करोना के इस समय में अगर जो सबसे ज्यादा मुसीबत में और सबसे ज्यादा खतरा मोल के काम कर रहे हैं तो वह डॉक्टर ही हैं। डॉक्टर जब एक अथक प्रयास करके अपने मरीजों को बचाने की कोशिश करते हैं लेकिन जैसा कि बाद में 1 न्यूज़ चैनल से बात करते हुए डॉक्टर ने बताया कि आखिर वह क्या वजह है कि लोग इतनी मौतें अस्पताल में होती हैं तो उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि लोग करोना प्रोटोकॉल को फॉलो नहीं करते हैं वह अक्सर उस वक्त अस्पताल में पहुंचते हैं जब हालात काबू से बाहर होते हैं और उनका ऑक्सीजन लेवल बिल्कुल ही 50 पर होता है उस वक्त उन को बचाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि उनका शरीर ट्रीटमेंट को सपोर्ट नहीं करता है। दूसरा उन्होंने यह बताया कि इस वक्त अगर एक इस वक्त जम्मू गवर्मेंट कॉलेज मेडिकल कॉलेज में एक मरीज के पीछे तकरीबन तीन से चार अटेंडेंट हॉस्पिटल में है हालांकि कोविड का यह प्रोटोकॉल यह नहीं चाहता कि यह अटेंडेंट वहां पर हो। लेकिन यह अटेंडेंट वहां पर होते हैं और यह सारे अटेंडेंट वहां पर घूमते हैं, कैंटीन में जाते हैं, कहीं दवाई की दुकान पर जाते हैं और पूरे मेडिकल कॉलेज में घूमते हैं और इस तरह से यह करोना का और बढ़ावा दे रहे हैं। बार-बार प्रशासन से अपील करने के बावजूद भी यहां पर पैरामिलिट्री फोर्स नहीं लगाई गई है। इस तरह से कोविड-19 कंट्रोल करना बहुत मुश्किल है। तो इन सब चीजों के सुनने बाद हमारा यह मानना है कि जो लोग हैं उनको एक समझदारी का परिचय देना चाहिए। अगर एक पेशेंट के साथ एक ही अटेंडेंट जाए और जैसा कि डॉक्टर निर्देश दें उनका वह पालन करें तो बहुत हद तक उस रोगी को बचाया जा सकता है। दूसरी बात यह है कि जैसे कि कोविड-19 प्रोटोकॉल है कि एसिंप्टोमेटिक पेशेंट घर में रह सकते हैं लेकिन अगर उनका ऑक्सीजन लेवल ड्रॉप होता है तो उनको फौरन अस्पताल में जाना चाहिए। उनको यह वेट नहीं करना चाहिए कि उनको कितनी प्रॉब्लम हो रही है हो सकता वह देखने में ठीक हो अभी उनकी सांस नहीं रुक रही हो लेकिन अक्सीजन का 94 से नीचे जाना है अगर एक पैमाना है तो उसका उनको पालन करते हुए अस्पताल जाना चाहिए। इसमें उन्हें किसी भी तरह का कोई शर्म संकोच नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह एक महामारी है यह कोई लज्जित करने वाला दुष्कर्म नहीं है कि जिससे आप मुंह छुपाए। इसलिए हमारी सभी तमाम जनता से यह अपील है कि जिन लोगों को करोना हुआ है, हमारा उनसे यह निवेदन है कि वह डॉक्टर के साथ परामर्श पर रहे और जैसे उनको लगता है कुछ परेशानी है तो वह फौरन अस्पताल में जाएं और वहां पर वह डॉक्टर के दिए हुए निर्देशों को मानने तभी जाकर करोना से बचा जा सकता है।
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