अभी कल ही हमने एक खौफनाक मंजर देखा जब जम्मू शहर के गांधीनगर इलाके के ग्रीन बेल्ट पार्क में एक तेंदुए ने कई लोगों को बुरी तरह से जख्मी कर दिया। हालांकि बाद में वह तेंदुआ पकड़ा गया लेकिन यह चिंता का विषय बन गया कि आखिरकार यह तेंदुआ ग्रीन बेल्ट जैसे इलाके में जो कि शहर के बीचोंबीच स्थित है वहां कैसे पहुंच गया। सुबह का यह वाक्य लोगों में एक चिंता का विषय और साथ में एक अफरा-तफरी का माहौल भी बना गया और चर्चा का विषय भी बन गया। अभी यह वाक्य की चर्चा कमी नहीं थी की फिर से यह खबर सुनने में आई की शाम के वक्त एक और तेंदुआ बाग ए बाहु के इलाके में देखा गया जिससे लोगों में एक अफरा-तफरी और दहशत का माहौल बन गया। अभी बीते दिनों की ही बात है कि एक हिरण विजयपुर के पास देखा गया था और वही पिछले दिनों एक भालू के सांबा के सुंब क्षेत्र में देखने की की भी खबर मिली थी और वहां पर एक औरत को इस बुरी तरीके से काटा गया था कि बाद में उसकी मृत्यु हो गई। हालांकि हम यह नहीं कह सकते कि यह जो औरत थी यह भालू के काटने से ही मरी या काटने वाला भालू ही था क्योंकि अंधेरे में उसको पूरी तरह से देखा नहीं गया लेकिन डॉक्टरों के अनुसार जिस हिसाब से कलाई की हड्डियां तक काट दी गई थी वह किसी जंगली जानवर का ही काम हो सकता है। कुत्ते के जबड़े में इतनी ताकत नहीं कि वह इस तरीके से इंसानी हड्डियों को तोड़ सके। तो सबसे बड़ी बात जो उभरकर आती है वह यह है आखिरकार यह वन्य प्राणी शहरों का रुख क्यों कर रहे हैं। अब अगर गौर से सोचा जाए तो पहले यह बात आती थी की जंगल खत्म हो रहे हैं तो जानवरों को कुछ खाने के लिए नहीं मिल रहा तो वह शहर की तरफ रुख कर रहे हैं लेकिन अब की स्थितियों पर अगर हम गौर करें तो हम यह पाते हैं कि पिछले 1 साल से करोना की वजह से इंसानों का बाहर निकलना काफी कम हुआ है और इंसानों के बाहर जाने के जो दुष्परिणाम है, जो इंसान का नेचर के के साथ खिलवाड़ है वह बहुत ही कम हुआ है जिसके परिणाम स्वरूप हम देखते आए हैं कि बहुत से वीडियो हमने ऐसे देखे हैं पिक्चर हमने देखी हैं कि जो वन्य प्राणी है वह शहरों की तरफ रुख करने लगे हैं क्योंकि जो जंगल का दायरा है वह बढ़ गया है, जंगल हरे भरे हो गए हैं, वह कटे नहीं है हरियाली बढ़ गई है। इसलिए कई जगह की, फॉरेन कंट्रीज की, हमारे यहां कि हमने तस्वीरें देखी हैं कि जो वन्य प्राणी है उन्होंने शहरों की तरफ रुख किया है जंगल घने होने की वजह से जो इलाके, शहरी निवास स्थान, जो जंगलों के साथ लगते हैं वहां पर इस तरह की घटनाएं हुई हैं। जैसे सांबा के सुंब क्षेत्र में एक भालू का आना जो कि वहां के लोगों के लिए काफी चर्चा का विषय बना रहा। हमने यह भी देखा कि जब पवित्र वैष्णो देवी धाम की यात्रा बंद थी तो वहां भी दो चार बार शेरों को स्पाट किया गया क्योंकि यात्रा नहीं होने की वजह से, इंसानों के ना आने की वजह से यह जानवर अपना जंगल छोड़कर माता रानी की पहाड़ियों में से निकल कर माता रानी के रास्ते में जहां से श्रद्धालु जाते थे वहां पर पहुंच गए। और इसी तरह से अगर हम देखें तो बाग ए बाहु के साथ जो इलाका लगता है जैसे मोहमाया के जंगल, इलाका घना होने के साथ वहीं पर पहले तेंदुआ देखा गया था। हो सकता है वहां एक नहीं दो- चार हों और उन मे से एक चलते हुए ग्रीन बेल्ट क्षेत्र तक पहुंच गया हो। हालांकि यह यह सोचने का विषय है कि वह तेंदुआ ग्रीन बेल्ट इलाके तक कैसे पहुंच गया। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि हम इन चीजों को कैसे रोक सकते हैं क्योंकि अगर हम इनको रोकने में कामयाब नहीं हुए तो जिस समरसता के साथ इंसान और जानवर रहते हैं उसमें बदलाव आ जाएगा। अगर हम इकोलॉजिकल पिरामिड की बात करें तो इकोलॉजिकल पिरामिड में जो शेर होता है वह टॉप पर है ऐसा इसलिए माना गया है कि अगर शेर इकोलॉजिकल के टॉप पर है तो इसका मतलब है कि आपके जो वन हैं वह हरे भरे हैं, उनमे हरियाली है और वह चुस्त-दुरुस्त और अगर वह चुस्त-दुरुस्त हैं तो हमारी पृथ्वी भी चुस्त और दुरुस्त और ऑक्सीजन से भरपूर है। हमें सिर्फ इतना करना है कि हमें इन हादसों को रोकना होगा यहां से हमें यह लगता है कि यह शहरी इलाके में प्रवेश कर सकते हैं वहां हमें लोहे की तारों का बाड़ा लगाकर या किसी और तरीके से इनको शहर में प्रवेश करने से रोकना है ताकि यह जंगल में ही रहे और जो इंसानों के साथ इनका टकराव है वो ना हो।
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Wednesday, April 7, 2021
वन्य प्राणियों का शहरी इलाकों की तरफ रुखः चिंता का विषय
अभी कल ही हमने एक खौफनाक मंजर देखा जब जम्मू शहर के गांधीनगर इलाके के ग्रीन बेल्ट पार्क में एक तेंदुए ने कई लोगों को बुरी तरह से जख्मी कर दिया। हालांकि बाद में वह तेंदुआ पकड़ा गया लेकिन यह चिंता का विषय बन गया कि आखिरकार यह तेंदुआ ग्रीन बेल्ट जैसे इलाके में जो कि शहर के बीचोंबीच स्थित है वहां कैसे पहुंच गया। सुबह का यह वाक्य लोगों में एक चिंता का विषय और साथ में एक अफरा-तफरी का माहौल भी बना गया और चर्चा का विषय भी बन गया। अभी यह वाक्य की चर्चा कमी नहीं थी की फिर से यह खबर सुनने में आई की शाम के वक्त एक और तेंदुआ बाग ए बाहु के इलाके में देखा गया जिससे लोगों में एक अफरा-तफरी और दहशत का माहौल बन गया। अभी बीते दिनों की ही बात है कि एक हिरण विजयपुर के पास देखा गया था और वही पिछले दिनों एक भालू के सांबा के सुंब क्षेत्र में देखने की की भी खबर मिली थी और वहां पर एक औरत को इस बुरी तरीके से काटा गया था कि बाद में उसकी मृत्यु हो गई। हालांकि हम यह नहीं कह सकते कि यह जो औरत थी यह भालू के काटने से ही मरी या काटने वाला भालू ही था क्योंकि अंधेरे में उसको पूरी तरह से देखा नहीं गया लेकिन डॉक्टरों के अनुसार जिस हिसाब से कलाई की हड्डियां तक काट दी गई थी वह किसी जंगली जानवर का ही काम हो सकता है। कुत्ते के जबड़े में इतनी ताकत नहीं कि वह इस तरीके से इंसानी हड्डियों को तोड़ सके। तो सबसे बड़ी बात जो उभरकर आती है वह यह है आखिरकार यह वन्य प्राणी शहरों का रुख क्यों कर रहे हैं। अब अगर गौर से सोचा जाए तो पहले यह बात आती थी की जंगल खत्म हो रहे हैं तो जानवरों को कुछ खाने के लिए नहीं मिल रहा तो वह शहर की तरफ रुख कर रहे हैं लेकिन अब की स्थितियों पर अगर हम गौर करें तो हम यह पाते हैं कि पिछले 1 साल से करोना की वजह से इंसानों का बाहर निकलना काफी कम हुआ है और इंसानों के बाहर जाने के जो दुष्परिणाम है, जो इंसान का नेचर के के साथ खिलवाड़ है वह बहुत ही कम हुआ है जिसके परिणाम स्वरूप हम देखते आए हैं कि बहुत से वीडियो हमने ऐसे देखे हैं पिक्चर हमने देखी हैं कि जो वन्य प्राणी है वह शहरों की तरफ रुख करने लगे हैं क्योंकि जो जंगल का दायरा है वह बढ़ गया है, जंगल हरे भरे हो गए हैं, वह कटे नहीं है हरियाली बढ़ गई है। इसलिए कई जगह की, फॉरेन कंट्रीज की, हमारे यहां कि हमने तस्वीरें देखी हैं कि जो वन्य प्राणी है उन्होंने शहरों की तरफ रुख किया है जंगल घने होने की वजह से जो इलाके, शहरी निवास स्थान, जो जंगलों के साथ लगते हैं वहां पर इस तरह की घटनाएं हुई हैं। जैसे सांबा के सुंब क्षेत्र में एक भालू का आना जो कि वहां के लोगों के लिए काफी चर्चा का विषय बना रहा। हमने यह भी देखा कि जब पवित्र वैष्णो देवी धाम की यात्रा बंद थी तो वहां भी दो चार बार शेरों को स्पाट किया गया क्योंकि यात्रा नहीं होने की वजह से, इंसानों के ना आने की वजह से यह जानवर अपना जंगल छोड़कर माता रानी की पहाड़ियों में से निकल कर माता रानी के रास्ते में जहां से श्रद्धालु जाते थे वहां पर पहुंच गए। और इसी तरह से अगर हम देखें तो बाग ए बाहु के साथ जो इलाका लगता है जैसे मोहमाया के जंगल, इलाका घना होने के साथ वहीं पर पहले तेंदुआ देखा गया था। हो सकता है वहां एक नहीं दो- चार हों और उन मे से एक चलते हुए ग्रीन बेल्ट क्षेत्र तक पहुंच गया हो। हालांकि यह यह सोचने का विषय है कि वह तेंदुआ ग्रीन बेल्ट इलाके तक कैसे पहुंच गया। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि हम इन चीजों को कैसे रोक सकते हैं क्योंकि अगर हम इनको रोकने में कामयाब नहीं हुए तो जिस समरसता के साथ इंसान और जानवर रहते हैं उसमें बदलाव आ जाएगा। अगर हम इकोलॉजिकल पिरामिड की बात करें तो इकोलॉजिकल पिरामिड में जो शेर होता है वह टॉप पर है ऐसा इसलिए माना गया है कि अगर शेर इकोलॉजिकल के टॉप पर है तो इसका मतलब है कि आपके जो वन हैं वह हरे भरे हैं, उनमे हरियाली है और वह चुस्त-दुरुस्त और अगर वह चुस्त-दुरुस्त हैं तो हमारी पृथ्वी भी चुस्त और दुरुस्त और ऑक्सीजन से भरपूर है। हमें सिर्फ इतना करना है कि हमें इन हादसों को रोकना होगा यहां से हमें यह लगता है कि यह शहरी इलाके में प्रवेश कर सकते हैं वहां हमें लोहे की तारों का बाड़ा लगाकर या किसी और तरीके से इनको शहर में प्रवेश करने से रोकना है ताकि यह जंगल में ही रहे और जो इंसानों के साथ इनका टकराव है वो ना हो।
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