Sunday, March 14, 2021

क्या फ्लाईओवर खत्म कर सकता है सांबा की पहचान।


 जम्मू कश्मीर के जिला सांबा में इस वक्त फ्लाईओवर ब्रिज बनने के लिए जरूरी रिक्वायरमेंट के तहत यहां पर साइल टेस्टिंग का काम चल रहा है। जबसे डॉ जितेंद्र सिंह ने यह घोषणा की थी कि पठानकोट से लेकर जम्मू तक नेशनल हाईवे की सिक्स लेन का काम जल्द ही पूरा किया जाएगा, तब से ही लोगों में इस बात को लेकर बड़ी खुशी थी। सांबा का इलाका जैसा कि आप जानते हैं कि पंचवटी से लेकर आगे ढलान है और यह ढलान शिवा कोल्ड स्टोरेज के पास आकर खत्म होती है। यह सारा इलाका बहुत ज्यादा एक्सीडेंट प्रोन रहा है। यहां पर बहुत सारे एक्सीडेंट हुए हैं और बहुत सारी मौतें भी हुई है। महीने में कोई 10 बार यहां एक्सीडेंट होने की खबर मिली जाती है और पता चल जाता है कि फला फला नाम के व्यक्ति की मौत हो गई। क्योंकि यह सारा जो इलाका है यह बहुत ही यहां पर बहुत सारे एक्सीडेंट हुए हैं इसलिए लोगों की बड़ी देर से यह डिमांड थी कि इस समस्या का कोई स्थाई समाधान निकाला जाए। इसलिए शायद नेशनल हाईवे यहां पर फ्लाईओवर का निर्माण करवाने जा रही है जिसकी स्टाइल टेस्टिंग का काम अभी चल रहा है। लेकिन फ्लाईओवर के कंसेप्ट को अगर हम देखें तो यहां से भी फ्लाईओवर गुजरे हैं वहां के शहर की खूबसूरती ही खत्म हो गई है और वाणिज्यिक व्यवस्था में बहुत ज्यादा घाटा हुआ है जैसे कि हीरानगर और बड़ी ब्राह्मणा मैं हुआ। वहां की जो मार्केट थी वह भी फ्लाईओवर के कारण पूरी तरह से बेकार हो गई  लेकिन जो सबसे बड़ी बात है वह है उस जगह की पहचान की। यहां से यह फ्लाईओवर गुजरता है क्या उसकी पहचान भी फ्लाईओवर बनने के साथ खत्म हो जाती है? क्या विशिष्ट पहचान रहने के लिए लोगों का उस जगह पर रुकना जरूरी है।फ्लाईओवर के यहां फायदे हैं तो उसके नुकसान भी हैं एक तो जितना भी ट्रैफिक आएगा या जितनी भी गाड़ी आएगी वह फ्लाईओवर के ऊपर से ही चली जाएंगी। वह गाड़ियां शहर में नहीं रुकेंगी। इससे सांबा शहर की जो वाणिज्यक व्यवस्था है उसमें घाटा पड़ेगा। छोटे व्यापारियों खासकर रोड साइड बेंडर है जिनमें सांबा शहर के मशहूर पल्ले वाले, गन्ने का रस बेचने वाले उनकी आजीविका में फर्क पड़ सकता है और उनका कारोबार और पहचान खत्म हो सकती है जैसे नंदनी चैनल के पीछे यहां पर पनीर के पकोड़ेेे बनते थे उनके साथ हुआ या झज्जर कोटली टूरिस्ट स्पॉट के साथ हुआ। तो फिर समस्या का क्या हाल है सांबा में कितने एक्सीडेंट होते हैं उन से किस तरह बचाया जा सकता है। क्या इसका एक ही हल फ्लाईओवर है।  यहां पर फ्लाईओवर ही होना चाहिए यह जरूरी नहीं है अगर हम पीछे लखनपुर से आते देखे तो यह सारा रोड सिक्स लेन का हो रहा है और यहां सरकार को जरूरत पड़ी उन्होंने सड़क को चौड़ा करने के लिए वहां की जो आगे पीछे की मार्केट थी उसको तोड डाला और वहां पर से उन्होंने नेशनल हाइवे को चौड़ा किया। विकास के साथ एक खामियाजा तो भुगतना ही पड़ता है लेकिन सड़क का चौड़ा होना भी बहुत जरूरी है तो मेरे ख्याल में अगर सांबा शहर में फ्लाईओवर की जगह इस सड़क को चौड़ा किया जाए और सिक्स लेन में तब्दील किया जाए तो आने वाले हादसों से भी बचा जा सकता है और सांबा शहर की खूबसूरती भी खत्म नहीं होगी और जो वाणिज्यक व्यवस्था यहां पर बनी हुई है उसमें भी डाउनफॉल नहीं होगा। इसलिए हमारी तो यही राय है कि देकर अगर सांबा शहर को सड़कों को चौड़ा कर दिया जाए तो उससे  हमारे शहर की खूबसूरती बढ़ सकती है और एक बहुत ही अच्छा शहर बन सकता है और साथ ही साथ इसमें छोटे व्यापारियों का भी भला ही होगा और उनकी आजीविका का साधन खत्म नहीं होगा। आगे ही "शीटों वाले शहर" (Calico Printing) की हमारी पहचान लुप्त हो चुकी हैैै और अब कहीं कि "सांबा शहर के मशहूर पल्ले" वाली पहचान भी कहीं अतीत का हिस्सा ना बन जाये।

संपादक

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