कल एक बहुत ही सुखद खबर सुनने को मिली जब गंगा शर्मा जो कि गवर्नमेंट कालेज फॉर वुमन परेड में डोगरी में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम कर रही हैं को उनकी अपनी डोगरी कविता संकलन "मन्नै दा बोआल" के लिए प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया गया और इसी के साथ वह इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली जम्मू कश्मीर की पहली महिला बन गई। माननीय एलजी महोदय मनोज सिन्हा ने भी उनको उनकी इस उपलब्धि के लिए और जितने भी साहित्य अकादमी अवार्ड विनर हैं उनको उनकी उपलब्धियों के लिए बहुत-बहुत मुबारक दी। और उन्होंने कहा कि जितने भी युवक युक्तियां हैं उनको इन से प्रेरणा लेनी चाहिए और उनको अपने कल्चर के साथ जुड़ना चाहिए और अपनी विरासत की जड़ों तक जाना चाहिए और अपने स्थानीय साहित्य के लिए काम करना चाहिए। गंगा शर्मा जी के बारे में बात करें तो उन्होने वर्ष 2011-2016 तक स्कूल शिक्षा विभाग और कॉलेज में संविदा व्याख्याता के रूप में काम किया और 2017 में वह डोगरी में सहायक प्रोफेसर के रूप में चुनी गयी जब उन्होंने जेकेपीएससी सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त किया।
यह उनके द्वारा लिखित दूसरी पुस्तक है जबकि उनकी पहली पुस्तक "डोगरी कोष विज्ञान" 2014 में प्रकाशित हुई थी। वह हीरा नगर के गांव पथवाल की रहने वाली हैं। उनका यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त करना यह दर्शाता है कि हमारा जो युवा वर्ग है वह अभी भी अपनी विरासत के साथ अपनी भाषा के साथ जुड़ना चाहता है और उसको उभारने के लिए, उसको उसकी सही जगह दिलाने के लिए प्रयासरत है। गंगा शर्मा की यह उपलब्धि और लोगों को भी प्रेरित करेगी कि वह अपनी डोगरी विरासत को बचाने के लिए काम करें और डोगरी को उसका वो स्थान दिलाने की कोशिश करें जो कि किसी जमाने में उसको प्राप्त था। आज अगर हम बात करें डोगरा विरासत की या डोगरा धरोहरों की या डोगरी भाषा की सब कुछ इतनी बुरी हालत मे है कि इनको देख कर दिल पसीज उठता है जो डोगरा विरासत है, धरोहर है वह उजड़ रही है और जो हमारा डोगरा कल्चर है उसकी पहचान धीरे-धीरे मिट रही है। कुछ दिनों पहले ही टीम जम्मू के चेयरमैन जोरावर सिंह जमवाल ने डोगरा जनरल जोरावर सिंह की की धरोहर उनकी पुश्तैनी हवेली रियासी जिला में यहां वो रहते थे उस का मुद्दा उठाया था कि किस तरीके से बिल्कुल उजड़ चुकी है और काल के गर्त में समा सकती है। इसके अलावा जब हम ऐतिहासिक धरोहर पुरानी मंडी की बात करें, सांबा के किले की हालत देखे, सांबा में ही रानी समाधियां की तरफ नजर दौड़ाऐं, जसरोटा के किले की हालत देंखे तो आज मात्र उनके अवशेष ही बचे हैं। और डोगरी जो हमारी भाषा है वह जैसे कहीं लुप्तप्राय हो गई है। इसलिए गंगा शर्मा जी द्वारा यह पुरस्कार प्राप्त करना डोगरा विरासत को बचाने की दिशा में, डोगरी भाषा को उबारने की और फिर से हमारे लोगों का डोगरी भाषा में दिलचस्पी पैदा करने की दिशा में दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
संपादक
No comments:
Post a Comment