मुबारक मंडी जो कभी j&k स्टेट का हृदय था जो कि डोगरा राजपूत राजाओं की राजधानी थी। वह मुबारक मंडी यहां से कभी यहां से महाराज की सवारी निकलती थी और लोहड़ी, होली पर तो वहां से मुबारक मंडी से राजाओं की झांकी निकलती थी जिसको देखने के लिए पूरा जम्मू शहर उमड़ पड़ता था। वह मुबारक मंडी लोगों के हृदय में अभी भी अपनी अमिट छाप छोड़े हुए हैं। आज कहने को तो मंडी में कुछ नहीं बचा आने वाली सरकारों ने मुबारक मंडी की देखरेख के लिए कुछ नहीं किया और यह मंडी धीरे-धीरे खंडहरों में तब्दील होती चली गई। तोष खाना यहां से हटाकर नए कंपलेक्स में ले जाया गया यहां का पिंक हाल यहां का म्यूजियम और देखने वाली चीजें धीरे-धीरे इतिहास का एक अध्याय बन गए। लेकिन मुबारक मंडी की जो यादें हैं वह लोगों के दिलों में अभी भी बसी हुई है। इसे हेरिटेज प्रशासन के अंतर्गत लाया गया है जो इस का ध्यान रखते हैं। मुबारक मंडी की पहचान हाथी ड्योढी है यह एक बहुत ही बड़ी ड्योढी है उसके नाम से उसका पता चलता है किसका नाम हाथी डयोढ़ी क्यों रखा गया है।
आसपास लगे गंदगी के ढेर बताते हैं कि आज प्रशासन की डोगरा कल्चर डोगरा विरासत और डोगरा इतिहास के बारे में क्या सोच है। आप खुद ही देख सकते हैं क्या हाल है बाहर से आने वाले पर्यटक अगर यहां पर आए तो हाथी ड्योढ़ी की ऐसी दयनीय दशा और वहां लगे गंदगी के ढेर देख कर उनको यह न लगे कि वह कौन सी जगह पर आ गए हैं और उनका यहां आने का मजा ही फीका हो जाए। हमारी प्रशासन से यही गुजारिश है कि यहां पर गंदगी के ढेर लगाए जाएं जम्मू में हेरिटेज प्रशासन से और मनोज सिन्हा जी से जो हमारी दरख्वास्त है कि की दशा को सुधारा जाए और कम से कम आप ही को एक ऐसा चेहरा दिया जाए जिससे इसको देखने वालों को यह लगे कि सचमुच में हाथी ड्योढ़ी है यहां पर कभी जम्मू के राजाओं की झांकी निकला करती थी जो कि जम्मू का सरताज थी।
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