Wednesday, April 12, 2023

जेके अटेंडेंस प्रणाली: क्या है परेशानियां???

 


कहते हैं कि बदलते जमाने के साथ खुद को भी बदल लेना चाहिए और जैसा कि अब नवीन युग चल रहा है जिसमें डिजिटल का जमाना है इंटरनेट प्रधान है तो सरकार भी इस बदलते युग के साथ डिजिटल प्रणाली में ही जाना चाहती है ताकि पुराने सिस्टम के जो दोष है उन को ठीक किया जा सके और सुचारू रूप से काम चलाया जा सके। लेकिन कई वक्त ऐसा होता है कि जब कोई नया सिस्टम लांच किया जाता है तो चीजें सही रूप से काम नहीं कर पाती। जी हां हम बात कर रहे हैं एप बेस्ड जेके अटेंडेंस प्रणाली की। पुराने समय से ही अगर कोई भी सरकारी नौकरी में प्रवेश पाता था तो उसको आने वाले समय और जाने वाले समय पर हस्ताक्षर करने पड़ते थे। जिसका यह मतलब निकलता था कि वह पूरा दिन अपने कामकाज पर रहा है। लेकिन बदलते जमाने के साथ जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती गई तब सरकार ने भी कई नए प्रयोग शुरू किए जिनमें मुख्य तौर पर बायोमैट्रिक अटेंडेंस का प्रयोग था। यह निश्चित तौर पर एक ऐसा प्रयोग था जिससे सरकारी कर्मचारियों के कामकाज में प्रभावी रूप से बढ़ोतरी हुई। बायोमैटक अटेंडेंस के चलते कर्मचारियों को अपना पूरा समय अपनी नौकरी पर ही देना पड़ता था इससे सरकार के कामकाज प्रभावी रूप से होता था। लेकिन कुछ खामियों के चलते इस बायोमेट्रिक प्रणाली को भी बदलने का निश्चय लिया गया। जिसमें इसके स्थान पर एप बेस्ड, स्कैन बेस्ड अटेंडेंस को प्रयोग में लाया गया। इसमें कर्मचारियों को अपने मोबाइल पर ही जेके अटेंडेंस की एक ऐप डाउनलोड करनी पड़ती है और कर्मचारियों को उसी पर से अपनी हाजिरी लगाना पड़ती है। जिसमें चैक इन का और चेक-आउट का समय रहता है। लेकिन जब से यह प्रणाली लांच की गई है तब से यह प्रणाली कोई ठीक ढंग से नहीं बैठ रही। हम जिला सांबा के मुख्य तौर पर शिक्षा विभाग की ही बात करेंगे जहां भी यह अटेंड जेके अटेंडेंस को प्रयोग में लाया जा रहा है।  चैक इन के तो तकरीबन वक्त सब ठीक ही रहता है, हां कभी कभार इसमें सर्वर धीमा होने के कारण (क्योंकि सभी कर्मचारी एक ही समय पर अपनी हाजिरी लगाते हैं) तो हाजिरी समय सही समय पर नहीं लग पाती। लेकिन सबसे ज्यादा जो समस्या है वह चेक आउट करने की समय की है जब चेक आउट का समय आता है तो कर्मचारी जब अपनी हाजिरी लगाने की कोशिश करते हैं तो उस वक्त यह प्रणाली फ्रीज हो जाती है। चाहे तो अनऑथराइज्ड लिखा हुआ आता है, कभी इंटरनेट उपलब्ध नहीं है और कहीं चेक आउट का ऑप्शन ही नहीं आता। कुछ भी करें उनके जाती दफा की हाजिरी नहीं लग पाती। नाम ना लेने की शर्त पर कुछ मुलाजिमों ने हमें बताया कि उनकी जाति दफा हाजिरी नहीं लगती है हालांकि उन्होंने इसके बारे में अपने नोडल अफसर से बात की है लेकिन कोई इसका पक्का समाधान नहीं निकल रहा है। तो आलम यह है कि अब उनको तीन जगह पड़ती है एक तो पुराना सिस्टम के तहत अराइवल डिपार्चरजगह पर हस्ताक्षर किए जाते हैं। फिर बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाई जाती है और उसके बाद जेके टेंडेंस की ऐप पर भी कोशिश की जाती है। हालांकि नए सिस्टम को सेट होते टाइम लगता है लेकिन हमने देखा है कि मुलाजिम हाजिरी लगाने के चक्कर में 10-15 मिनट स्कूल में ही लेट हो जाते हैं। तो हमारा प्रशासन से यह अनुरोध है कि इस अटेंडेंस प्रणाली में सुधार किए जाएं। सरवर की क्षमता को बढ़ाया जाए और 5जी इंटरनेट का खासतौर पर जिला सांबा में इस्तेमाल किया जाए ताकि जितने भी मुलाजिम हैं जिनमें सभी अलग-अलग डिपार्टमेंट से आते हैं उनको अटेंडेंस लगाते वक्त परेशानी ना हो और सही समय पर उनकी हाजिरी लग जाए।


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