Saturday, September 17, 2022

जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी की राजनीति के बदलते तेवर: समय के गर्भ में क्या है कोई नहीं जानता

 


जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी की राजनीति के तेवर अचानक से बदलने लगे हैं उपराज्यपाल के शासनकाल को चलते हुए काफी समय हो गया है और बीच-बीच में नेताओं द्वारा यह बोला जाना कि चुनाव कभी भी हो सकते हैं लोगों के दिलों में एक सुगबुगाहट पैदा करता है। कश्मीर की सभी विपक्षी पार्टियों द्वारा गुपकार गठबंधन का निर्माण और जम्मू के नेताओं द्वारा नेशनल कान्फ्रेंस से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल होना और जम्मू क्षेत्र की ही बातें करना पहले से ही कश्मीर वर्सेस जम्मू की राजनीति को पैदा कर रहा था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से अचानक ही जम्मू-कश्मीर की राजनीति के तेवर बदलने लगे हैं पहले आम आदमी पार्टी का जम्मू कश्मीर में प्रवेश करना और पैंथर्स पार्टी का उसमें तकरीबन उसमें विलय हो जाना लोगों के लिए एक और विकल्प का काम कर रहा था कि तभी अचानक से ही गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देना और जम्मू में रैली निकालकर, सभा करके यह बोलना कि वह अपनी पार्टी का निर्माण कर सकते हैं फिर साथ ही साथ जम्मू कश्मीर की कांग्रेस पार्टी के तकरीबन सारे सीनियर नेताओं द्वारा इस्तीफा देकर गुलाम नबी आजाद के साथ जाने पर लोगों के लिए एक और विकल्प का काम कर रहा है। अभी यह ही चल रहा था कि अचानक से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और महाराजा हरि सिंह जी के पुत्र करण सिंह द्वारा यह बोलना कि वह तकरीबन कांग्रेस पार्टी में हाशिए पर हैं और पिछले काफी समय से कोई एक्टिव जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं और उनका महाराजा हरि सिंह जी की जयंती पर छुट्टी देने पर मोदी जी का आभार प्रकट करना एक और क्यास पैदा करता है कि क्या करण सिंह जी आने वाले भविष्य में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर जम्मू कश्मीर की राजनीति में कोई भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि वो उम्रदराज हो चुके हैं लेकिन उनके दोनों पुत्र  विक्रमादित्य सिंह जी और अजातशत्रु जी दोनों ही राजनीतिज्ञ हैं और जम्मू कश्मीर की राजनीति में अपनी भूमिका निभाते रहे हैं। अब क्यास सिर्फ इस बात का ही है की क्या करण सिंह जी बीजेपी के साथ जाना पसंद करेंगे या गुलाम नबी आजाद के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर की राजनीति में भूमिका निभाना चाहेंगे। कल ही बीजेपी के जम्मू कश्मीर यूनियन टेरिटरी के प्रधान रविंद्र रैणा द्वारा अचानक ही एक इंटरव्यू में उमर अब्दुल्ला जी की प्रशंसा करना और कहना कि एक बहुत ही अच्छे इंसान हैं यह भी एक अलग ही तरह के हालात पैदा कर रहा है और इसी के साथ उमर अब्दुल्ला द्वारा उनके इस वीडियो के बारे में बोले जाने पर की विपक्षी पार्टियों में होते हुए भी हमें किसी के साथ कोई घृणा द्वेष नहीं होना चाहिए, इन लोगों के बदलते सुरों को दर्शा रहा है। अब बुद्धिजीवी द्वारा यह क्यास लगाया जा रहा है कि क्या गुलाम नबी आजाद जिनकी की जम्मू कश्मीर में अच्छी पकड़ है और कांग्रेस के सारे सीनियर नेता भी तकरीबन के साथ आ गए हैं, क्या वह आने वाले समय में जम्मू कश्मीर के लिए कोई अलग विकल्प दे सकते हैं। क्या वह बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे क्योंकि गुलाम नबी आजाद के बारे में मोदी का जो प्रेम है वह किसी से भी छुपा हुआ नहीं है या कश्मीर की पार्टियों की मदद लेंगे क्योंकि बिना उनके भी सरकार बनाना मुमकिन नहीं है। यहां बीजेपी का अचानक ही उमर अब्दुल्ला के बारे में प्रेम जगाना किसी और ही बारे में कुछ इंगित करता है क्योंकि राजनीति में कोई भी अछूत नहीं है और ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।  आने वाले वक्त में क्या हो सकता है इसका तो किसी को पता नहीं है लेकिन यह तो तय है कि कश्मीर की दो विपक्षी पार्टियां नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी यह कभी भी एक साथ नहीं हो सकती तो अगर यह एक साथ नहीं हो सकती तो फिर इन लोगों के लिए क्या विकल्प पड़ता है। क्या वह गुलाम नबी आजाद को समर्थन देकर उनको आने वाले समय में उनको सीएम का कैंडिडेट बनाएंगे या गुलाम नबी आजाद बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाना पसंद करेंगे। आने वाले समय के गर्भ में क्या है यह कोई बता नहीं सकता लेकिन यह तय है कि लोगों के लिए अब विकल्प थोड़े आसान और ज्यादा हो गए हैं।

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