रहबर ऐ तालीम टीचर्स का मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है। इस बार फिर से नया ऑर्डर निकाला गया है जिसमें उनको उनकी ओरिजिनल प्लेस आफ पोस्टिंग पर रिपेट्रिएट किया गया है।
लेकिन सबसे बड़ी बात इस आर्डर में जो है 25/07/22 को जारी किया गया है इसमें 22/01/2019 के उस आर्डर का हवाला दिया गया है जिसमें ReT टीचर्स को ग्रेड सेकंड और थर्ड में कन्वर्ट किया गया था और उस आर्डर की क्लास 3 (a) का हवाला देते हुए एक बात कही गई है कि आज ग्रेड सेकंड थर्ड टीचर्स की सर्विस कंडीशन जनरल टीचर्स के बराबर ही हैं लेकिन उनकी जो ट्रांसफर है वह दुर्लभ परिस्थितियों (exceptional circumstances) में म्यूचल बेसिस पर ही हो सकती है (paragraph two of the order), लेकिन पिछले काफी समय से ReTs की ट्रांसफर होती रही है और इस तरह से इस ऑर्डर में डायरेक्टर स्कूल एजुकेशन जम्मू और कश्मीर को यह कहा गया है कि इन सब ReTs को उनकी ओरिजिनल प्लेस ऑफ पोस्टिंग पर रिपेट्रिएट कर दिया जाए। और कंप्लायंस रिपोर्ट 29/07/2022 तक पेश कर दी जाए अगर ऐसा नहीं होता है तो उनकी सैलरी विद ड्रॉ नहीं होगी। देखा जाए तो यह आर्डर बिना होमवर्क किए हुए किया गया लगता है। रहवर ए तालीम टीचर कि जो पाल्सी थी और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार के समय 2000 में आई थी जिसमें दूरदराज के इलाकों में मिलिटेंसी के कारण बंद पड़े हुए स्कूलों को और यहां पर कोई टीचर नहीं जाना चाहता था, वहां पर शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए यह पाल्सी लाई गई थी थी जिसमें वहां के लोकल कैंडिडेट्स को ही लगाया गया था। उस समय की शर्तों के मुताबिक उनको 15 सो रुपए के स्टाइफन पर 5 साल काम करना पड़ता था और 5 साल के बाद जनरललाइन टीचर में कन्वर्ट हुआ करते थे जिसमें उनकी कोई ट्रांसफर पाल्सी नहीं थी। इन सब में सबसे बड़ी मुश्किलात का सामना उन लड़कियों को करना पड़ता था जिनकी शादी किसी दूसरे डिस्ट्रिक्ट में हो जाया करती थी क्योंकि ट्रांसफर पाल्सी के कोई निश्चित कानून नहीं थे। कुछ लोगों की ट्रांसफर 2006-7 में रेगुलर होने के बाद हुई थी लेकिन तब एक भूतपूर्व एजुकेशन मिनिस्टर द्वारा यह कहकर उनकी ट्रांसफर को रोक दिया गया कि यह एक जगह स्पेसिफिक स्कूलों में लगे थे तो इनकी ट्रांसफर नहीं होनी चाहिए। वर्षों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार नेशनल कान्फ्रेंस की सरकार के समय ही 13 जून 2019 को तब चीफ मिनिस्टर उमर अब्दुल्ला ने ReT टीचर्स की कान्फ्रेंस में यह वादा किया था कि उनकी सर्विस को इसको रेगुलराइज होने के बाद पेंशनरी बेनिफिट्स और सीनियारिटी के लिए काउंट किया जाएगा। और रेगुलराइज होने के बाद वह अपने डिस्ट्रिक्ट में ही ट्रांसफर के लिए हकदार होंगे और 25 जून को इस बाबत एक केबिनेट डिसीजन में ऑर्डर भी पास किया गया था जिसमें उनके 5 साल के पीरियड को पेंशनरी बेनिफिट्स और सीनियारिटी के लिए कौन किया गया था और उनकी नौकरी को रेगुलर होने के बाद ट्रांसफरेबल कर दिया गया था।
हालांकि उनके इस आर्डर को जिसमें रहबर रे तालीम टीचर्स की 5 साल की सर्विस को सीनियारिटी और पेंशनरी बेनिफिट्स के लिए काउंट किया जाना था जनरल लाइन फोरम ने चैलेंज किया था और कोर्ट ने बाद में उसको स्टे कर दिया था। लेकिन जो ट्रांसफर पाल्सी थ उस पर कोई सवालिया निशान नहीं पाए गए थे इसलिए 2014 में ही बहुत सारे ReT टीचर की ट्रांसफर हुई थी और वह आप अपना हक दशकों बाद पा सके थे। देखा जाए तो शुरू से ही ReT टीचर्स जलालत के शिकार है। 2005 में उनका पहला बैच जनरल टीचर में कन्वर्ट होने के बाद भी उनको जरूर लाइन टीचर नहीं माना गया तब से लेकर उनके लिए उस वक्त कुछ टीचरों की ट्रांसफर हो गई थी लेकिन तब वहां के एक भूतपूर्व एजुकेशन मिनिस्टर ने उनकी ट्रांसफर में रोड़ा अटका दिया कि यह जगह स्पेसिफिक लगे थे इसलिए इनकी ट्रांसफर नहीं होनी चाहिए हालांकि जो एफिडेविट समय इन आईटी टीचर से मांगा गया था जिसमें उसकी ट्रांसफर नहीं होगी वह सिर्फ 5 सालों के लिए ही था। सबसे बड़ी मुश्किल आज तो उन अनमैरिड गर्ल्स को है जो शादी करके दूसरे डिस्ट्रिक्ट में भी जा चुकी हैं। बाद में उनको अलग-अलग तरह के टैग दिये गए जिसमें उनको ReT, RReTs, Grade ll-lll, 3Rd Teacher आदि आदि। कभी उनको टेस्ट लेने के नाम पर परेशान किया गया कि अगर वह टेस्ट में कामयाब नहीं होते तो उनको नौकरी से निकाल दिया जाएगा तो कभी किसी और तरीके से 37000 के लगभग ReT Teachers जिनम बहुत ज्यादा संख्या में औरतें भी थी उनको परेशान किया गया वह अपनी ट्रांसफर के लिए छटपटाते रहे। 5 साल की नौकरी एक मजदूर से भी कम तनख्वाह लेने के बाद भी दो अपना वह हक ना पा सके जिसका उन्हें आश्वासन दिया गया था जो उनके लिखित आर्डर में लिखा गया था। बीएलओ की ड्यूटी से लेकर हर तरह के सर्वे में ReT टीचर्स साथ देते रहे लेकिन जनरल लाइन टीचर में कन्वर्ट होने के बाद भी वह जनरल लाइन टीचर का अधिकार नहीं पा सके। 2019 में उनकी एक बार फिर से टैगिंग हुई और उनको ग्रेड सेकंड और थर्ड में कन्वर्ट कर दिया गया। सबको लगा शायद इस बार सरकार उनकी सुन ले और जलालत का जो दौर उनके साथ चलता रहा है उससे उनको निजात मिल सके लेकिन फिर ऐसा नहीं हो पाया और 2019 में उनके साथ फिर एक क्लास 3 a जोड़ दी गई। अब 25/07/2022 का ऑर्डर एक सवाल खड़ा करता है कि क्या एक ऑर्डर केबिनेट डिसीजन के द्वारा दिए गए 2014 के आर्डर को निरस्त कर सकता है। 2014 की ट्रांसफर को आज एक अरसा बीत चुका है 8 साल हो गए हैं लेकिन अब सरकार की तरफ से निकाले गए आर्डर से इन सब टीचरों को रिपेट्रिएट किया जा सकता है। 2019 का ऑर्डर टीचर ग्रेड सेकंड और थर्ड के लिए है और यह क्लास 3 a है वह टीचर ग्रेड सेकंड और थर्ड से बिलॉन्ग करती है इस तरह से 2014 में हुई ट्रांसफरों को निरस्त किया जा सकता है। हम तो सरकार से यही अनुरोध करेंगे कि टीचर्स का काम है पढ़ाना सबसे पहले तो उनको पढ़ाने के काम पर ही रहने देना चाहिए और पड वह सही ढंग से तभी सकता है जब उसको चैन और सुकून हो। अब सरकार उनके मसले को सही तरह से हल करें ताकि वह चैन और सुकून की जिंदगी के साथ अच्छे भविष्य का निर्माण कर सकें।
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