Tuesday, March 16, 2021

खनन माफिया, प्रशासन और आम जनता

 


पिछले डेढ़ साल से बंद रॉयल्टी के खुलने से लोगों को यह लग रहा था कि रॉयल्टी  खुलने से अब उनको अपने घर बनाने के लिए जो जरूरी समान है जिनमें रेत बजरी आदि प्रमुख हैं सरलता से मिल जाएंगे। लेकिन जैसे ही लोगों को यह पता चला कि रॉयल्टी का रेट जोकि जो कि पहले डेढ़ सौ रुपया पर सैकड़ा हुआ करता था उसको बढ़ाकर ढाई सौ रुपया कर दिया गया है तो उनको कुछ अजीब सा लगा लेकिन यह समझ कर की यूनियन टेरिटरी बढ़ने से बहुत परिवर्तन हुए हैं लोगों ने इसको करीब मान ही लिया। लेकिन रेत की वहीं ट्राली जो जो आठ नौ सौ रुपए में उनके घर में पहुंच जाती थी जब वह 2500-3000 में पहुंचने लगी तो उनके पैरों तलेेेे जमीन खिसक गई। पहले लोगों ने अपना गुस्सा लोकल सप्लायर्स पर उतारा लेकिन उसके बाद जैसे ही लोगों को यह पता चला कि खनन ठेके जिन्होंने ले रखे हैं वह लोग ढाई सौ के बजाय बारह सौ रुपया सैकड़ा का चार्ज कर रहे हैं तो लोगों के लिए घर बनाना एक सपने जैसा हो गया। उससे भी बढ़कर यह बात थी कि यूनियन टेरिटरी बढ़ने की वजह से पंजाब केे लोगों रॉयल्टी लेे रखी थी उनके गुंडे 5-6 गाड़ियों में हर वक्त दरिया में घूम रहे थे और लोगों से मनचाहा रेट वसूल कर रहे और जो उन की बात नहीं मान रहेे थेे उनको धमकातेे थे। इस संदर्भ मेंं अगर हम बात करेंं तो तो कुछ रॉयल्टी के पॉइंट्स माफिया डॉन नागर सिंह उर्फ नागो ने भी ले रखे थे जो कि एक डॉन है और वह लो ट्रैक्टर ट्राली वालों को जिनकी आजीविका का सोर्स यह दरिया बसंत्र ही है उनको धमकाते थे और उनसे मनचाहा रेट वसूल कर रहे थे। इसके बारे में कई लोगों ने डीएमओ से कई बार शिकायत की और माननीय जिलाधीश से भी मिले। जिलाधीश ने उनको यह भरोसा दिलाया कि जो रेट है वह ढाई सौ रुपए पर सैकड़ा है इससे ज्यादा कोई नहीं ले सकता अगर कोई इससे ज्यादा रेट लेगा तो कार्रवाई होगी। लेकिन जब भी खनन मैटेरियल सप्लाई करने वाले लोग दरिया बसंतर में पहुंचते हैं तो वह कहते हैं कि खनन माफिया के गुंडे वहां पर बैठे होते हैं वह प्रशासन के आदेशों को नहीं मानते वह उनसे पर सैकड़ा 12 सो रुपए चार्ज करते है। कल भी एक डीसी ऑफिस के बाहर बहुत बड़ा प्रोटेस्ट मैटेरियल सप्लाई करने वालों और ठेकेदारों ने भी किया उसने यह भी इल्जाम लगाया कि प्रशासन के आदेशों को माना नहीं जा रहा है और जो ठेकेदार हैं उन्होंने आरोप लगाया कि अगर वह बजरी मटेरियल वगैरह सप्लाई करते हैं तो उनकी बैलेंस शीट बनाने के लिए करने के लिए एक रसीद दी जाती है लेकिन यहां पर खनन वालों की तरफ से कोई भी रसीद नहीं दी जा रही तो वह कैसे आगे जाकर अपना हिसाब किताब अपनी बैलेंस शीट बनाएंगे। बात करें आम जनता की इतनी महंगी रेत बजरी मिलने से त्रस्त हो चुकी है, मकान के काम ठप पड़े हैं क्योंकि उनको सेकेंडरी मटेरियल ही नहीं मिल रहा है और अगर मिल रहा है तो वह लगभग ₹3000 की रेट तो कैसे वह अपने घर का निर्माण करेंगे। बात यह है कि अगर रॉयल्टी बाहर के लोगों ने भी ली है क्योंकि यूनियन टेरिटरी बनने के बाद उनका हक था तो जो प्रशासन ने रेट सेट की है उससे ज्यादा कैसे वसूला जा रहा है। क्या प्रशासन इतना कमजोर है कि वह खनन माफिया के लोगों को कंट्रोल नहीं कर सकता। पुलिस इसके बारे में क्या कर रही है, जैसा कि खनन मैटेरियल सप्लाई करने वाले टिप्पर ट्रैक्टर ट्राली वालों ने ये आरोप लगाया है कि  कि खनन माफिया के गुंडे बीच दरिया में घूमते हैं उनके पास 5-6 गाड़ियां होती है तो वह अगर उनकी बात कोई नहीं मानता तो उसको गाली गलौज करते हैं मारने की धमकी देते हैं तो यह किस तरह की गुंडागर्दी यहां पर हो रही है। क्या प्रशासन इतना बेबस है कि वह इस खनन माफिया के आगे झुक गया है और अपने आदेशों को पूरा नहीं करवा पा रहा। कुछ भी हो इसका बोझ जनता के ऊपर ही पड़ रहा है और जनता इतना  ज्यादा त्रस्त हो चुकी है कि हम कुछ बता ही नहीं सकते। कुछ भी हो हमारा यही कहना है की जनता जनार्द्द्न ही सरकार है। अगर उनको कोई मुश्किलात आती हैं और उसका समाधान नहीं होता है तो फिर जनता जनार्दन ही बताती है की "ऊंट किस करवट बैठेगा और सुई किस तरफ घूमेंगी"।

संपादक

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