The Killing of 8 policemen by the Gangster Vikas Dubey a on 2nd of July and after that his escape from the the scene raises serious question mark on the Nexus between criminals police and politicians. Gangster Vikas Dubey who has so many cases of murder extortion encroachment on his head killed eight policemen when they raided his Bikaru's house. On investigation it found that some police man had leaked the information of the raid on his house and it led to the cold blooded tragedy. It was also found that he snapped the electricity on that fateful night through his contacts and after killing his men were ready for his escape. It means everything was pre planned. The question arises how can a Gangster who has so many murder cases on his head lived in a free atmosphere and out of the reach of the hands of police in his 25 years criminal career. It also raises one more question that how he escaped from Kanpur to Haryana and to NCR Delhi, it means he might be helped by somebody (probability is more of police). A Gangster who lived in the patronage of politician and police might very well know that what would be their modus operandi. He was still at large. The Killing of his close associate Amar Dubey who has a reward of 50,000 on his head and capturing of one associate who has 25000 rupees reward on his head may at times show the swiftness of the police but a criminal like this who has so many cases of Murder extortion encroachment survive or you can say rule in a society in such a free manner indicates the collapse of the the government machinery who has to apprehend such brute cold blooded henious murders and it also somehow made us ponder that how our politicians and police give shelter to such criminals for their petty gains.
गैंगस्टर विकास दुबे द्वारा 2 जुलाई को 8 पुलिसकर्मियों को मारना और उसके बाद उनका घटनास्थल से भाग जाना अपराधियों पुलिस और राजनेताओं के बीच नेक्सस पर गंभीर सवालिया निशान खड़ा करता है। गैंगस्टर विकास दुबे, जिसके सिर पर हत्या जबरन वसूली अतिक्रमण के कई मामले हैं, जब उस के बिकारु घर पर छापा मारा गया तो उस ने और उसके साथियों आठ पुलिसकर्मी की हत्या कर दी। जांच करने पर पाया गया कि कुछ पुलिस वाले ने छापे की सूचना लीक कर दी थी और इसने इस त्रासदी को जन्म दिया। यह भी पाया गया कि उसने अपने संपर्कों के माध्यम से उस भयावह रात को बिजली काट दी थी और उसके साथी उसको भगाने को तैयार बैठे थे। इसका मतलब यह है कि सब कुछ पूर्व नियोजित था। सवाल यह उठता है कि एक गैंगस्टर जिसने अपने सिर पर हत्या के कई मामले दर्ज हैं, वह 25 साल के आपराधिक करियर में पुलिस के हाथों से दूर, मुक्त माहौल में कैसे रह सकता है। यह एक और सवाल भी उठाता है कि वह कानपुर से हरियाणा और एनसीआर दिल्ली कैसे भाग गया, इसका मतलब है कि उसे किसी की मदद मिली थी (संभावना पुलिस की अधिक है)। एक गैंगस्टर जो राजनेता और पुलिस के संरक्षण में रहता था, वह अच्छी तरह से जानता होगा कि उनका काम करने का तरीका क्या होगा। इस समय पुलिस की तत्परता और उसके करीबी सहयोगी अमर दुबे को ठिकाने लगाना जिसके सिर पर 50,000 का इनाम था था और एक ऐसे सहयोगी को पकड़ना, जिसके सिर पर 25000 रुपये का इनाम है, वाह वाही लूटने का कारण बन सकता है, लेकिन एक अपराधी जैसे जिसके ऊपर इतने अपराधिक मामले होएक समाज में इस तरह से स्वतंत्र रूप से रह सकता है सरकारी मशीनरी के पतन को दर्शाता है, जिसे इस तरह के क्रूर ठंडे खून वाले हत्याकांडों को पकड़ना होता है और यह किसी तरह से हमें भी हैरान कर देता है कि हमारे राजनेता और पुलिस कैसे अपने छोटे लाभ के लिए ऐसे हत्यारों को शरण देते हैं।
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